पर्यावरण बचाने के लिए फर्ज निभाएं, खेतों में पराली न जलाएं – डीसी

राजेश भारद्वाज स्टेट हेड हरियाणा

पराली जलाने पर पांच हजार रुपए से लेकर 30 हजार रुपए तक जुर्माना

 

रेवाड़ी। डीसी अभिषेक मीणा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट व राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण(एनजीटी) के निर्देशानुसार सरकार पराली जलाने वाले किसानों पर सख्त है। जिला में पराली और फसल अवशेष जलाने से संबंधित घटना पर अंकुश लगाने के लिए ‘शून्य सहिष्णुता नीति’ अपनाएं। उन्होंने कहा कि पराली जलाने पर जिला प्रशासन द्वारा सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि उल्लंघन करने वालों पर आईपीसी की धारा 188 के तहत छह माह की जेल व 30,000 रुपए तक का जुर्माना अथवा दोनों का प्रावधान है।

डीसी अभिषेक मीणा ने जिला के किसानों से आह्वान किया कि पर्यावरण बचाने के लिए हर किसान की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि कोई भी किसान खेतों में पराली न जलाए, इसके लिए दूसरे किसानों को भी जागरूक करें। उन्होंने कहा कि पर्यावरण बचाने के लिए सभी अपना फर्ज निभाएं और खेतों में पराली न जलाएंं। इसके लिए स्वयं और नई पीढ़ी को सुरक्षित व स्वस्थ जीवन देने के हम संकल्प ले।

 

डीसी ने कहा कि वायु प्रदूषण से सांस, फेफड़ों से सम्बंधित बीमारियां तो होती ही है, सामान्य स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। जीवन प्रत्याशा में कमी व असमय मृत्यु भी हो सकती है। उन्होंने बताया कि खेतों में आग लगाने से हवा में प्रदूषण के छोटे-छोटे कणों से पी.एम. 2.5 का स्तर अत्यधिक बढ़ जाता है। इससे सिरदर्द एवं सांस लेने में तकलीफ होती है, अस्थमा और कैंसर जैसी बीमारियां भी हो रही हैं।

 

डीसी ने बताया कि पराली को जलाने से वायु प्रदूषण पर प्रभाव पड़ता है, मिट्टी की जैविक गुणवत्ता प्रभावित होती है, मिट्टी में मौजूद कई उपयोगी बैक्टीरिया व कीट नष्ट हो जाते हैं। उन्होंने बताया कि इसके उपाय के लिए राष्ट्रीय कृषि नीति का पालन करें, पराली को जलाने के बजाए इससे जैविक खाद बनायें, इसका उपयोग बायोमास एनर्जी, छप्पर बनाने तथा मशरूम की खेती आदि करने में करें। बेल्स बनाकर उद्योगों और पैलेट / ब्रिकेट्स बनाने वाली कंपनियों को बेचें।

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