महिला सशक्तिकरण की मिसाल बनी हरदोई की महिला विधायक रजनी तिवारी

नौशाद अली अंसारी प्रदेश संवाददाता 

 

गृहिणी से राज्य मंत्री बनीं रजनी तिवारी साधारण महिला जो एक गृहिणी थी, अपने पति की मृत्यु के बाद अचानक राजनीति में प्रवेश करती है और अपनी सादगी से लोगों के दिलों में घर कर जाती हैं। हम बात कर रहे राज्य मंत्री रजनी तिवारी की।

रजनी तिवारी ने पति की मृत्यु के बाद राजनीति में प्रवेश किया अब हैं यूपी सरकार में राज्य मंत्री

रजनी तिवारी बदले की भावना से राजनीति नहीं करती हैं उनकी छवि सरल सौम्य और ईमानदार है।वह बहुत ही सरल स्वभाव की हैं। उनकी सादगी के कारण जनता उन्हें वोट देती है और वह न सिर्फ चुनाव जीत जाती हैं बल्कि जनता के दिल भी जीत लेती हैं। अपने पति की मृत्यु के बाद वह अचानक राजनीति में आती हैं और वह चुनाव लड़ती हैं। ये उनकी खासियत ही रही कि अशोक बाजपेई जैसा ब्राह्मण चेहरा उनके सामने खड़ा होता है और चुनाव हार जाता है।

गरीबों के हितों का ख्याल रखा

क्षेत्र के लोगों का मानना है कि वह पूरे क्षेत्र में विकास के मुद्दे पर हमेशा आगे रहती हैं और क्षेत्र का विकास उनकी प्राथमिकता रहती है। उनकी एक और खासियत यह है कि वह गरीबों को गले लगाती हैं और उनके सुख-दुख में हमेशा शामिल होती हैं। उनमें कभी भी अमीर-गरीब का भेदभाव नहीं देखा गया। इतना ही नहीं विधायिका ने काश्तकारों पर भी अंकुश लगाया है, पहले काश्तकार जमीन खा जाते थे, अब उन्होंने इस पर काम किया है और गरीबों के कल्याण का ख्याल रखा।

रजनी तिवारी ने क्या-क्या काम कराए

रजनी लगातार चार बार विधायक बनती हैं और लगातार बड़े-बड़े नेताओं को चुनावों में भारी मतों से हराती रही हैं। यह उनका व्यक्तित्व है कि क्षेत्र की जनता उन्हें बार-बार चुनती है। अपने पति की मृत्यु के बाद वह पूरी तरह से लोगों के प्रति समर्पित हो गईं और उनके कल्याण और विकास के लिए काम करती रही हैं, क्षेत्र की जनता उनको जीत दिलाती रही है। रजनी तिवारी लगातार अपने क्षेत्र के लोगों को राहत देने के लिए कार्य करती रही हैं। उनके प्रयासों से ही हरदोई में शाहाबाद में पुराना ओवर ब्रिज बना, लोगों की सुविधा के लिए सड़क बनाई गई। शाहाबाद से पिहानी मार्ग का चौड़ीकरण किया गया। इससे पिहानी से शाहाबाद का सफर आसान हुआ। इनके क्षेत्र की जनता का कहना है कि इससे पूर्व जो विधायक होते थे वह यहां गुंडई किया करते थे इसलिए लोगों ने उनको नापसंद किया और रजनी जी को वोट दिया।

राजनीति में बदले की भावना की कोई गुंजाइश नहीं

रजनी तिवारी बदले की भावना से राजनीति नहीं करती हैं उनकी छवि सरल सौम्य और ईमानदार है। हरदोई की जनता का मानना है कि पिछला विधायक यहां गुंडागर्दी करता था, इसलिए लोगों ने उन्हें नापसंद किया और रजनी जी को वोट दिया।

महिला सशक्तिकरण की मिसाल बनीं , यूपी के हरदोई की महिला विधायक रजनी तिवारी का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। इसमें गणेश आरती पर सवाल खड़े करते, उसमें कुछ बदलाव करने का सुझाव दिया था। उस वक्त उन्होंने कार्यक्रम में मौजूद महिलाओं को संकल्प दिलाया था कि आप यहां से घर जाएं तो हर बार गणेश जी की आरती बदलाव के साथ करें। उनका कहना था कि क्योंकि पुत्र या पुत्री कोई भी हो वह हमारा ही अंश है। कार्यक्रम में मौजूद महिलाओं से बोला था कि आप यहां से यह संकल्प लेकर जाएं कि इस आरती को बदलाव के साथ करेंगी। मंत्री ने कहा था आपको यह संकल्प खुद के लिए, अपनी बेटी और बहू के लिए लेना होगा।

गणेश जी की आरती में यह बदलाव का दिया था सुझाव

उनका सुझाव था कि आरती में जहां बांझन को पुत्र देत निर्धन को माया॥ इसके स्थान पर बांझिन की संतान देत निर्धन को माया॥ शब्दों का प्रयोग करें।

बिना भेदभाव समान अवसर जरूरी

रजनी तिवारी हमेशा कहती आई हैं कि हमें किसी के कंधों की जरूरत नहीं है हम स्त्रियां सशक्त हैं और हमेशा सशक्त रहेंगी। महिलाएं अपनी योग्यता हर क्षेत्र में साबित कर रही हैं। उनका कहना रहा है कि मेरे लिए महिला सशक्तिकरण का मतलब है हर महिला को साथ लेकर चलना। महिला सशक्तीकरण के लिए बिना भेदभाव समान अवसर जरूरी है।

 

 

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