जिनकी कुंडली में ये विशेष योग…जो बनाते हैं निपुण:- ज्योतिषाचार्य अजय कुमार तैलंग

गोपाल चतुर्वेदी ब्यूरो चीफ मथुरा

भगवान कृष्ण ऐसे ही नहीं थे सोलह कलाओं मैं पारंगत

 

मथुरा के विख्यात ज्योतिषाचार्य अजय कुमार तैलंग ने भगवान श्रीकृष्ण की जन्मपत्रिका के बारे में बताया कि प्रभु का जन्म द्वापर युग में भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि में वृषभ लग्न में हुआ था। चंद्रमा ओर केतु लग्न में होने से ऐसे बालक मनोहारी स्वरूप रूप के होते हैं। चौथे घर सूर्य उच्च का होने से दो माता का योग पालन के लिए मिलता हैं।

पंचम भाव में अपने घर में बुध ग्रह होंने से बुद्धिमान तीव्रता तथा अनेक कला में निपुण बालक होता है । छठे भाव में शनि शुक्र होने से हठी बालक कई अद्भुत कला करने वाला होता है । सप्तम भाव में राहु मंगल के घर में बैठने से दो विवाह योग भी बनते हैं। नवम भाव में शनि के घर में मंगल होने से षड्यंत्र में परिपूर्ण होते हैं ऐसे बालक। एकादश भाव में बृहस्पति उच्च का होने से राजयोग बनता है।

कुंडली का आठवां भाव मृत्यु, उम्र, और गुप्त बातों का घर होता है। इस घर में शनि का अच्छा प्रभाव उम्र बढ़ाता है और मृत्यु की गति को धीमा करता है। कुंडली के इस घर में शनि होने से गुप्त विद्या प्राप्त होती है। कुंडली का 10वां भाव कर्म, कैरियर, और कारोबार का भाव माना जाता है।

कुंडली में 10वें भाव को देखकर ही पता चलता है कि व्यक्ति का जीवन किस क्षेत्र में सबसे बेहतर कर सकता है। कुंडली का दूसरा भाव धन और परिवार का भाव माना जाता है। इसके द्वारा नेत्र, मुख, वाणी, आदि के बारे में भी ज्ञात किया जा सकता है। लग्न से छठे भाव में शुक्र शनि होने मामा की मृत्यु भांजे के द्वारा होती है।

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