केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह की छवि धूमिल करने के आरोप में दर्ज मामले में हरियाणा रथ के संपादक को अग्रिम जमानत

राजेश भारद्वाज स्टेट हेड हरियाणा

 

अदालत ने कहा – कस्टोडियल पूछताछ की आवश्यकता नहीं, प्रारंभिक जांच में आरोप साबित नहीं होते

 

रेवाड़ी। केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह की छवि धूमिल करने के आरोप को लेकर दर्ज एक मामले में वरिष्ठ पत्रकार एवं हरियाणा रथ समाचार पत्र और एचआर न्यूज यूट्यूब चैनल के संपादक को माननीय न्यायालय से राहत मिली है। रेवाड़ी की अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश श्रीमति अंकिता शर्मा की अदालत ने उन्हें अग्रिम जमानत प्रदान की है।

 

यह मामला उस समय दर्ज हुआ था जब केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह के निजी सचिव ने कुछ यूट्यूबर्स के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई थी। शिकायत में आरोप लगाया गया था कि इन यूट्यूबर्स ने मंत्री की छवि धूमिल करने और उनके कांग्रेस में शामिल होने संबंधी अफवाह फैलाने का प्रयास किया। इसी एफआईआर में हरियाणा रथ का नाम भी शामिल किया गया था।

 

सुनवाई के दौरान हरियाणा रथ की ओर से अधिवक्ता शुभम राज श्रीवास्तव ने अदालत में दलील दी कि जांच प्रारंभिक अवस्था में है और संबंधित वीडियो की सामग्री में ऐसा कोई भी अंश नहीं है जिससे मंत्री की छवि को ठेस पहुंचती हो। उन्होंने कहा कि एफआईआर जिस वीडियो के आधार पर दर्ज की गई है, उसमें किसी भी तरह की आपत्तिजनक भाषा या झूठे तथ्यों का उल्लेख नहीं किया गया है।

 

अधिवक्ता ने आगे कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19(1)(a) के तहत प्रेस और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सुनिश्चित की गई है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के कई निर्णयों का हवाला दिया, विशेष रूप से “इमरान प्रतापगढ़ी बनाम गुजरात राज्य” मामले का उल्लेख किया, जिसमें सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया था कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता लोकतंत्र की नींव है और पुलिस को एफआईआर दर्ज करने से पहले तथ्यों की गंभीरता से समीक्षा करनी चाहिए।

 

अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कहा कि प्रारंभिक स्तर पर आरोप साबित होते नहीं दिखते और जांच के दौरान आवेदक को हिरासत में लेने या कस्टोडियल इंटरोगेशन की आवश्यकता नहीं है।

 

इस आदेश के बाद हरियाणा रथ के संपादक को अग्रिम जमानत प्रदान कर दी गई।

स्थानीय पत्रकार समुदाय ने अदालत के इस निर्णय का स्वागत करते हुए इसे प्रेस की स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की आज़ादी के पक्ष में एक अहम फैसला बताया है।

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