कृषकों को फसल अवशेष जलाते हुए पकड़े जाने पर अर्थदंड का प्राविधान किया गया है

करतार सिंह पौनिया मण्डल प्रभारी आगरा 

 

*मैनपुरी* l जिलाधिकारी अंजनी कुमार सिंह ने कहा कि जनपद में धान की कटाई का कार्य प्रारंभ हो चुका है, जनपद में खरीफ में लगभग 1.40 लाख हे. क्षेत्रफल, जिसके सापेक्ष धान 0.65 लाख हे. तथा शेष मंे मक्का, बाजरा, ज्वार आदि की फसलों से क्षेत्रफल आच्छादित है, विगत् वर्षों में धान की कटाई के उपरांत फसल अवशेषों को खेतों में जलाने की घटनाएं प्रकाश में आयीं हैं, कृषक फसल अवशेष जलाने से बचें, मा. राष्ट्रीय हरित अभिकरण द्वारा फसल अवेशषों को जलाना दण्डनीय अपराध घोषित किया है, कृषकों को फसल अवशेष जलाते हुए पकड़े जाने पर कृषि भूमि का क्षेत्रफल 02 एकड़ से कम होने पर रू. 2500, 02 एकड़ से अधिक एवं 05 एकड़ से कम होने पर रू. 5000, 05 एकड़ से अधिक होने पर रू. 15000 प्रति घटना अर्थदंड का प्राविधान किया गया है साथ ही कम्वाईन हार्वेस्टिंग मशीन का रीपर के बिना प्रयोग भी प्रतिबन्धित किया गया है। उन्होने कहा कि फसल अवशेष के जलाने की पुनरावृत्ति की दशा में सम्बन्धित कृषक को सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली सुविधाओं, अनुदान आदि से बंचित किये जाने की कार्यवाही के निर्देश मा. राष्ट्रीय हरित अभिकरण द्वारा दिये गये है। उन्होने कृषकों से अपील करते हुये कहा कि किसी भी फसल के अवशेषों को खेत में न जलायें, बल्कि मृदा में कार्बन पदार्थों की वृद्धि हेतु पादप अवशेषों को मृदा में मिलाने, सड़ाने हेतु शासन द्वारा 50 प्रतिशत् अनुदान पर मिल रहे कृषि यंत्र यथा सुपर सीडर, सुपर स्ट्रा मैनेजमेन्ट सिस्टम, पैडी स्ट्राचापर, मल्चर, कटर कम स्प्रेडर, रिवर्सेबुल एम.बी. प्लाऊ, रोटरी स्लेशर, जीरोट्रिल सीडकम फर्टीलाइजर ड्रिल एवं हैप्पी सीडर इत्यादि को अनुदान पर प्राप्त कर फसल अवशेष का प्रबन्धन करें ताकि मृदा का स्वास्थ्य बना रहे।

उप कृषि निदेशक ने बताया कि विगत् कुछ वर्षों में कृषक मजदूरों की कमी तथा विशेषकर धान एवं गेंहॅू की कम्बाइन से कटाई-मढ़ाई होने के कारण अधिकांश क्षेत्रों में कृषकों द्वारा फसल अवशेष जलायें जा रहे हैं, जिसके कारण वातावरण प्रदूषित होने के साथ-साथ मिट्टी के पोषक तत्वों की अत्यधिक क्षति होती है साथ ही मिट्टी की भौतिक दशा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। उन्होने बताया कि 01 टन धान के फसल अवशेष जलाने से 03 किग्रा. कणिका तत्व, 60 कि.ग्रा. कार्बन मोने ऑक्साइड, 1460 कि.ग्रा. कार्बन डाई ऑक्साइड, 199 कि.ग्रा. राख एवं 02 कि.ग्रा. सल्फर डाई ऑक्साइड अवमुक्त होता है, इन गैसों के कारण सामान्य वायु की गुणवक्ता में कमी आती है जिससे आंखों में जलन एवं त्वचा रोग तथा सूक्ष्म कणों के कारण जीर्ण हृदय एवं फेंफड़ांे की बीमारी के रूप में मानव स्वास्थ्य को प्रभावित करता है, एक टन धान का फसल अवशेष जलाने से लगभग 5.50 कि.ग्रा. नाइट्रोजन, 2.3 कि.ग्रा. फास्फोरस ऑक्साइड, 25 कि0ग्रा0 पोटेशियम् आक्साइड, 1.2 कि0ग्रा0 सल्फर, धान के द्वारा शोषित 50 से 70 प्रतिशत् सूक्ष्म पोषक तत्व एवं 400 कि0ग्रा0 कार्बन की क्षति होती है। पोषक तत्वों के नष्ट होने के अतिरिक्त मिट्टी के कुछ गुण जैसे भूमि तापमान, पी.एच.मान, उपलब्ध फास्फोरस एवं जैविक पदार्थ भी अत्यधिक प्रभावित होते है, कृषकों को गेंहॅू की बुवाई की जल्दी होती है तथा खेत की तैयारी में कम समय लगे एवं शीघ्र ही गेंहॅू की बुवाई हो इस उद्देश्य से कृषकों द्वारा फसल अवशेष जलाने के दुष्परिणामों को जानते हुए भी फसल अवशेष जला देते हैं, जिसकी रोकथाम करना पर्यावरण के लिए अपरिहार्य है।

व्हाट्सप्प आइकान को दबा कर इस खबर को शेयर जरूर करें

विज्ञापन बॉक्स (विज्ञापन देने के लिए संपर्क करें)


स्वतंत्र और सच्ची पत्रकारिता के लिए ज़रूरी है कि वो कॉरपोरेट और राजनैतिक नियंत्रण से मुक्त हो। ऐसा तभी संभव है जब जनता आगे आए और सहयोग करे
Donate Now
               
हमारे  नए ऐप से अपने फोन पर पाएं रियल टाइम अलर्ट , और सभी खबरें डाउनलोड करें
डाउनलोड करें

जवाब जरूर दे 

क्या शाहाबाद में महिला डिग्री कॉलेज की स्थापना की जरूरत है?

View Results

Loading ... Loading ...


Related Articles

Back to top button
Close
Website Design By Bootalpha.com +91 84482 65129