अगर इस्लाम कबूल कर लेती तो… एक्ट्रेस को महामंडलेश्वर बनाने वालीं लक्ष्मी नारायण ने ऐसा क्यों कहा?

सौरभ चतुर्वेदी ब्यूरो अहमदाबाद

90 के दशक की बोल्ड और ग्लैमरस बॉलीवुड एक्ट्रेस ममता कुलकर्णी एक बार फिर सुर्खियों में हैं, लेकिन इस बार वह अपनी आध्यात्मिक यात्रा के कारण फिर से चर्चा में है. हाल ही में ममता ने 2025 के महाकुंभ मेले के दौरान किन्नर अखाड़ा के साथ संन्यास लिया और घोषणा की कि फिल्म इंडस्ट्री में लौटना अब उनके लिए असंभव है. अपने इस बदलाव पर विचार करते हुए उन्होंने बताया कि अब उनका पूरा ध्यान आध्यात्मिकता पर है, जो उनके बॉलीवुड दिनों से एक बड़ा बदलाव है. हालांकि इसके बाद बहुत बवाल हुआ और शुक्रवार को इस मामले में किन्नर अखाड़े ने उनसे महामंडलेश्वर का ताज छीन भी लिया.

 

ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्ववर बनाने वाली किन्नर अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी का रिएक्शन सामने आया है. महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने कहा है कि यही ममता कुलकर्णी अगर इस्लाम कबूल कर लेती तो अजय दास जी कुछ नहीं कहते. उन्होंने कहा कि वह इस चीप पब्लिसिटी के लिए अजय दास को कोर्ट ले जाएंगे.

 

अजय दास को पहले ही पदमुक्त कर दिया था: महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण

किन्नर अखाड़े ने साल 2017 में ऋषि अजय दास को पहले ही पद मुक्त कर दिया था. महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने कहा कि हकीकत में अगर मैं संस्थापक रहती तो किन्नर अखाड़े में रहती लेकिन अजय दास किन्नर अखाड़े में क्यों नहीं रहते? वो तो कही और रहते हैं. यही ममता कुलकर्णी अगर इस्लाम कबूल कर लेती तो अजय दास जी कुछ नहीं कहते. उनकी अर्चना दास से उनकी शादी हुई है और वह गृहस्थ हैं. अजय दास की बेटी का नाम कनक है और उनका परिवार है.

 

 

हम जूना अखाड़े के साथ

महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने कहा कि हरि गिरि महाराज जी की हम चेले हैं और हरी गिरी जी महाराज जो कहेंगे हम वही करेंगे. जूना अखाड़े के साथ हम लोगों का अनुबंध है. किन्नर अखाड़ा अपना फैसला लेने के लिए फ्री है. उन्होंने कहा कि ऋषि अजय दास जी चीप पब्लिसिटी के लिए यह कर रहे हैं. अजय दास जयपुर में बीबी और बेटी के साथ रहते हैं. चीप पब्लिसिटी के लिए वह कर रहे हैं और हम उन्हें कोर्ट ले जाएंगे.

 

महामंडलेश्वर बनने के बाद क्या बोलीं थी ममता कुलकर्णी

ममता कुलकर्णी ने महामंडलेश्वर बनने के बाद कहा था कि मैं फिल्मों में वापस जाने की कल्पना भी नहीं कर सकती. यह अब मेरे लिए बिल्कुल असंभव है. उन्होंने अपनी आध्यात्मिक यात्रा को गहराई से संतोषजनक बताया और किन्नर अखाड़ा की महामंडलेश्वर के रूप में अपने सम्मान की तुलना 23 साल की भक्ति के बाद ओलंपिक पदक जीतने से की थी. उन्होंने कहा था कि किन्नर अखाड़ा, जो भगवान शिव और देवी पार्वती के दिव्य अर्धनारीश्वर रूप का प्रतिनिधित्व करता है वह ममता की स्वतंत्रता और आध्यात्मिक जागृति की इच्छा के साथ मेल खाता है. ममता ने देवी आदिशक्ति के आशीर्वाद के लिए आभार व्यक्त किया और कहा कि उनकी यात्रा दिव्य इच्छा द्वारा निर्देशित रही है.

 

ममता ने किया था पिंड दान

महाकुंभ मेले के दौरान, ममता ने संगम में पवित्र पिंड दान किया और किन्नर अखाड़ा की महा मंडलेश्वर के रूप में ताज पहनाया गया. उन्होंने तब से श्री यमाई ममता नंद गिरी नाम अपनाया. अपने नए आध्यात्मिक नेता के रूप में भूमिका को स्वीकार किया है. दशानामी आदेश के भीतर यह प्रतिष्ठित उपाधि उन सम्मानित हिंदू संन्यासियों को दी जाती है जिन्हें सनातन धर्म के प्रचार का कार्य सौंपा जाता है. एक पहले के इंटरव्यू में एएनआई से ममता ने बताया कि उनका निर्णय महादेव, महाकाली और उनके गुरु द्वारा निर्देशित था.

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