वृद्ध की मौत के बाद हंगामा, 3 दिन पूर्व गोद में लेकर एसपी कार्यालय पहुंचे थे परिजन; पुलिस पर लगाये आरोप

आमिर अली संवाददाता घिरोर 

 

मैनपुरी में एसपी कार्यालय पर तीन दिन पूर्व जिस वृद्ध को गोद में लेकर न्याय मांगने के लिए परिवार के लोग पहुंचे थे, उस वृद्ध की उपचार के दौरान मौत हो गई। वृद्ध की मौत से गुस्साए परिजन आज शव लेकर कलक्ट्रेट पहुंच गए। वहां पुलिस पर गंभीर आरोप लगाते हुए जमकर हंगामा किया।

 

मैनपुरी में वृद्ध को पीट कर मरणासन्न स्थिति में पहुंचाने वाले आरोपियों के खिलाफ पुलिस ने मामूली धाराओं में कार्रवाई की। सोमवार को वृद्ध ने उपचार के दौरान दम तोड़ दिया। पुलिस की कार्यशैली से गुस्साए परिजन ने शव को कलेक्ट्रेट पर रख दिया और कार्रवाई की मांग करने लगे। एसपी ने परिजन को कार्रवाई का आश्वासन दिया। आरोपियों के खिलाफ हत्या की धाराओं में मुकदमा दर्ज करने के बाद पुलिस तलाश में जुट गई है।

 

मामला भोगांव थाना क्षेत्र के गांव हिमायूंपुर का है। बेटे शिवमोहन ने बताया कि पिता सत्यपाल सिंह को 18 जून की शाम खरंजे के विवाद में नंदलाल, शिव प्रताप, हैप्पी उर्फ करन, भानू प्रताप, छोटू उर्फ अर्जुन, खन्ना उर्फ जगरूप , गुलशन सिंह, बलराम सिंह, नंद लाल के साले शिवा ने लाठी डंडा फावड़ा से पीटा था। पिता को मरणासन्न स्थिति में पहुंचा दिया था।

परिवार के अन्य लोगों को भी चोटें लगीं थीं। लेकिन भोगांव पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ मामूली धाराओं में मुकदमा दर्ज कर कोई कार्रवाई नहीं की थी। कुछ दिन पहले वह गंभीर हालत में पिता को लेकर एसपी विनोद कुमार से मिलने आए थे। तब एसपी के आदेश पर घायलों का दोबारा मेडिकल हुआ था। पिता का उपचार मेडिकल कॉलेज सैफई में चल रहा था। वहां से दिल्ली एम्स ले जाते समय सत्यपाल सिंह ने दम तोड़ दिया।

 

परिजन ने आरोप लगाया कि पुलिस की लापरवाही के चलते ही वृद्ध सत्यपाल सिंह की मौत हुई है। पुलिस ने आरोपियों को बचाते हुए मामूली धाराओं में रिपोर्ट दर्ज की। जबकि पिता को गंभीर चोटे लगीं थीं। एसपी ने पीड़ित परिजन को कार्रवाई का आश्वासन देते हुए कार्रवाई का भरोसा दिलाया। पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ हत्या धाराओं में मुकदमा तरमीम करने के साथ ही तलाश शुरू कर दी है।

पुलिस को लेकर दिखा गुस्सा

वृद्ध सत्यपाल सिंह का शव लेकर कलेक्ट्रेट पहुंचे परिजन के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे। उनका आरोप था कि अगर पुलिस समय पर कार्रवाई करती तो वह अच्छा इलाज करा सकते थे। पुलिस ने सही मेडिकल नहीं कराया। दोबारा हुए मेडिकल के बाद भी गंभीरता नहीं दिखाई। आरोपियों की गिरफ्तारी को लेकर कोई प्रयास नहीं किए गए। भोगांव पुलिस की कार्यशैली ने सत्यपाल सिंह की जान ले ली।

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