फसल में अच्छी पैदावार के लिए डीएपी की बजाय एसएसपी व एनपीके का प्रयोग करे किसान

राजेश भारद्वाज स्टेट हेड हरियाणा 

 

प्रगतिशील किसानों को साथ लेकर कृषि विभाग द्वारा फील्ड डेमोंसट्रेशन किए जाएंगे

 

रेवाड़ी, 15 अक्तूबर। जिला में रबी फसलों की बुवाई का सीजन शुरू हो गया है। जिला रेवाड़ी में रबी सीजन के दौरान लगभग 1 लाख 90 हजार एकड़ सरसों व 85 हजार एकड़ गेहूं की बिजाई की जाती है। इन फसलों की बिजाई के समय किसान प्रति एकड़ एक बैग डीएपी खाद का प्रयोग करते हैं, जबकि फसलों को फास्फोरस के अलावा नाइट्रोजन, पोटाश, सल्फर, जिंक इत्यादि पोषक तत्वों की भी आवश्यकता होती है। इसलिए किसानों को दो मुख्य बिंदुओं पर ध्यान देना चाहिए। पहला, बीज व दूसरा, उर्वरक। अगर बीज का चुनाव सही है लेकिन सही उर्वरक का प्रयोग नहीं किया तो यह फसल की उत्पादन क्षमता पर भी प्रभाव डालता है। किसान डीएपी (डाई अमोनियम फॉस्फेट) की बजाय एसएसपी यानी सिंगल सुपर फॉस्फेट अथवा एनपीके का प्रयोग करें। कृषि विभाग द्वारा जारी हिदायत के अनुसार किसान डीएपी की जगह एनपीके 12:32:16 या एनपीके 20:20:0:13 या जिनकेटेड एसएसपी बोरोनेकेड एसएसपी का भी प्रयोग कर सकते हैं।

 

जिला परिषद सीईओ विकास यादव तथा एसडीएम सुरेंद्र सिंह ने कृषि एवं किसान कल्याण विभाग, कृभको इफको तथा अन्य संबंधित विभागों के अधिकारियों की बैठक में यह निर्देश दिए की इस संबंध में किसानों को व्यापक रूप से जागरूक किया जाए और इसके लिए प्रगतिशील किसानों को साथ लेकर फील्ड डेमोंसट्रेशन भी किया जाए।

 

उन्होंने कहा कि सरसों एक तिलहन फसल है इसलिए इसके बेहतर उत्पादन के लिए किसानों को एसएसपी खाद का प्रयोग करना चाहिए। बीज बुवाई से पूर्व एसएसपी का प्रयोग न केवल पौधे की उत्पादन क्षमता को बढ़ाता है बल्कि यह फसल की गुणवत्ता की बढ़ोतरी में भी सहायक सिद्ध होता है। वहीं गेहूं की फसल में दाने का साइज़ व उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए एनपीके का प्रयोग कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि किसान आज भी सरसों व गेहूं की फसल के लिए डीएपी खाद पर निर्भर है जबकि बाजार में इसकी तुलना में कम दाम पर बेहतर विकल्प उपलब्ध है।

किसान सरसों की बिजाई के लिए एक एकड़ में 50 किलो डीएपी यानी एक कट्टा खाद का प्रयोग करता है, जिसमें 46 प्रतिशत फास्फेट व 18 प्रतिशत नाइट्रोजन होती है। यह खाद जमीन में जल्दी घुलनशील होती है इसलिए बीज के अंकुरण के समय पौधे को इसका कम लाभ मिलता है। इसके साथ ही तिलहन फसलों के लिए सल्फर, जोकि सबसे आवश्यक तत्व है, इसकी मात्रा डीएपी में शून्य प्रतिशत होती है। वहीं एसएसपी के एक कट्टे में 15.8 प्रतिशत फॉस्फेट व सल्फर की मात्रा 11 व कैल्शियम की मात्रा 20 प्रतिशत होती है। चूंकि एसएसपी में नाइट्रोजन की मात्रा शून्य है इसलिए इसकी पूर्ति के लिए हम एसएसपी के साथ यूरिया का प्रयोग कर सकते है। उन्होंने बताया कि एक एकड़ में डीएपी के एक कट्टे की तुलना में हमे बीज बुवाई से पूर्व एसएसपी के दो कट्टे का प्रयोग करना होगा। इससे एक एकड़ में फॉस्फेट की मात्रा करीब 31 प्रतिशत हो जाएगी वहीं तिलहन फसलों के आवश्यक तत्व यानी सल्फर की मात्रा करीब 22 प्रतिशत रहेगी।

 

उन्होंने कहा कि सभी किसान खेत मे नाइट्रोजन की पूर्ति के लिए एसएसपी खाद की बुवाई से पहले एक एकड़ में 25 किलो यूरिया का छिड़काव जरूर करें। यूरिया के एक कट्टे में नाइट्रोजन की मात्रा करीब 46 प्रतिशत के करीब है। इन खाद के प्रयोग से फसल का कोई भी प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता बल्कि फास्फोरस के अलावा पोटाश, सल्फर, जिंक आदि तत्वों की भी पूर्ति होती है। तिलहन फसलों में विशेष रूप से सल्फर तत्व की आवश्यकता होती है, जिस कारण दोनों में तेल की मात्रा बढ़ जाती है। इसलिए किसानों को हिदायत दी जाती है कि अपनी फसलों में एक बैग डीएपी की जगह 1.5 बैग एनपीके या दो बैग एसएसपी प्रति एकड़ प्रयोग कर सकते हैं।

व्हाट्सप्प आइकान को दबा कर इस खबर को शेयर जरूर करें

विज्ञापन बॉक्स (विज्ञापन देने के लिए संपर्क करें)


स्वतंत्र और सच्ची पत्रकारिता के लिए ज़रूरी है कि वो कॉरपोरेट और राजनैतिक नियंत्रण से मुक्त हो। ऐसा तभी संभव है जब जनता आगे आए और सहयोग करे
Donate Now
               
हमारे  नए ऐप से अपने फोन पर पाएं रियल टाइम अलर्ट , और सभी खबरें डाउनलोड करें
डाउनलोड करें

जवाब जरूर दे 

क्या शाहाबाद में महिला डिग्री कॉलेज की स्थापना की जरूरत है?

View Results

Loading ... Loading ...


Related Articles

Back to top button
Close
Website Design By Bootalpha.com +91 84482 65129