हवाला कारोबारियों की तरह काम कर रहे शिक्षा माफिया  

गोपाल चतुर्वेदी ब्यूरो चीफ मथुरा 

प्रशासन की अनदेखी से लुट रहे अभिभावक

 

मथुरा। शिक्षा हर बच्चे का मौलिक अधिकार, पढ़ेगा इंडिया तभी तो बढ़ेगा इंडिया जैसे लुभावने नारे देने वाली सरकार हर बार जारी करती है सरकारी फरमान जिसको देश के नागरिक अपनी जिम्मेदारी मानते हुए पूरा करने की कोशिश भी करते है। गरीब से गरीब और अमीर अपने बच्चे को बेहतर शिक्षा देने के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं। जिसका देश के शिक्षा माफियाओं ने फायदा उठाना शुरू कर दिया। प्राचीन काल से भारत मै शिक्षा गुरुकुलो के माध्यम से मिलती रही है, देश मै अंग्रेजी हुकूमत का कब्जा रहा जिन्होंने गुरुकुल परम्परा को तहस नहस कर भारत की शिक्षा प्रणाली को नष्ट कर दिया। रही सही कसर शिक्षा विभाग के साथ मिल शिक्षा माफिया करने पर तुले है। शिक्षा माफियाओं ने पहले सरकारी तंत्र से मिल कर सरकारी शिक्षा प्रणाली को कमजोर किया। और प्राइवेट शिक्षा व्यवस्था को बढ़ावा दिलाया। आज प्राइवेट स्कूलों के माध्यम से हवाला कारोबार की तरह अपना एजेंडा थोपना शुरू कर दिया। हर अभिभावक की इस कमजोरी का फायदा पूरी तरह से शिक्षा माफिया उठा रहे है आजकल बच्चे के लंच बॉक्स से लेकर हर स्कूल की आवश्यक और अनावश्यक वस्तु मैं कमीशन सैट कर लिया गया है। अभिभावक को मजबूरन उसे पूरा करना पड़ता है। शिक्षा माफिया प्राइवेट स्कूलों मै प्रवेश लेने वाले बच्चों के अभिबाबको को प्रवेश या दूसरी कक्षा में जाने पर पहले दिन ही एक लिस्ट जारी कर देते है कि हमारे विद्यालय ने बच्चे को इस वर्ष ये पुस्तक और नोट बुक, नोट बुक पर चढ़ाने वाले कवर, नाम लिखने की स्लिप साथ ही साथ इस ब्रांड के पैन पैंसिल या ज्योमेट्री बॉक्स निर्धारित किए है ये सभी वस्तु शिक्षा माफिया अपनी सैट जगह पर या स्कूल में उपलब्ध होने का पता भी बता देते है उनका मूल्य भी निर्धारित पहले से कर देते है। बच्चे के मोजे से लेकर टाई,बेल्ट, जूते, स्कूल यूनिफॉम किताब कापी सभी चीजें तक के लिए पहले से निर्धारित कर दी जाती है।

स्कूल यूनिफॉम के नाम पर भी कोई रहम नहीं है तीन तीन तरह की यूनिफॉम कोड लागू है साधारण ड्रेस एक होती है एक अल्टरनेट डे के नाम पर और एक हाउस ड्रेस के नाम पर भी थोप दी जाती है। इसके अतिरिक्त विंटर सीजन की अलग रहती है। किताबो का तो और भी बुरा हाल है एनसीआरटी की निर्धारित किताबो का मूल्य 50 से 60 रुपए निर्धारित सरकार द्वारा किया गया पर किस आदेश पर प्राइवेट स्कूलों को अपनी पसंद की किताब एनसीआरटी के साथ लागू करने का खुल्ला लूट का श्रोत मुहैया कराया गया। एक एक किताब पर स्कूल अपने कमीशन के लालच मै 600से 800रुपए तक मूल्य अंकित करा रहा है। सरकारी तंत्र आंख बंद कर इस शिक्षा माफियाओं के हवाला की तरह चल रहे इस गोरख धंधे को सहन कर रहा है। जनपद के तमाम स्कूल भी शिक्षा माफिया के इशारे पर चल रहे है। अगर माता पिता मजबूरी बस स्कूल के इस खेल मै कुछ कहने की हिम्मत जुटा भी लेते है तो विद्यालय मै बच्चे को जलील किया जाता है अगर हैसियत नहीं थी तो भेजा क्यों जैसे शब्दों का इस्तेमाल तक किया जाता रहा है। मथुरा मैं तमाम स्कूल धड़ल्ले से इस प्रकार अभिभावकों का शोषण कर रहे है जिनमें प्रमुख रूप से मथुरा के नामी गिरामी स्कूल जैसे, कान्हा माखन, रमन लाल शोरा बाला, राजीव इंटरनेशनल,मिलेनियम, माउंट हिल अकादमी, सेक्रेड हार्ट स्कूल, अमरनाथ विद्या मंदिर, रतन लाल फूल कटोरी देवी, मोमिन पब्लिक स्कूल, ध्रुव कांवेट स्कूल, जोशी वन निकेतन स्कूल,अमूमन मथुरा के ज्यादर सभी प्राइवेट स्कूलों का एक सा ही हाल है। इस प्रकार की लूट के खिलाफ हिम्मत जुटा कर एक अभिभावक द्वारा शिकायत भी जिलाधिकारी कार्यालय पर की जिसकी जांच के आदेश पारित कर दिए गए जांच अधिकारियों द्वारा प्रार्थी को तरह तरह के प्रलोभन का प्रयास किया गया जब मामला सैट नही हुआ तो प्रार्थी पर अपनी बच्ची की फीस ना जमा करने का आरोप तक लगाया गया ।

इस प्रकार की किसी भी बात का प्रार्थी पर असर नहीं हुआ तो जॉच अधिकारियों से सांठ गांठ कर प्रार्थी के साक्ष्य लिए बिना जांच रिपोर्ट लगा कर भेज दी गई । यह शिकायत मात्र एक विद्यार्थी के संबंध मै ना होकर विद्यालय के हर उस अभिवाबक के नाम से है जो अपने बच्चों के उज्ज्वल भविष्य की आस मै इन शिक्षा माफियाओं का शिकार हो रहा है प्रशासन को अपने स्तर से कार्यवाही करते हुए हर अभिवाबक के हितो को ध्यान में रख कर कार्यवाही करनी चाहिए।

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