डालमिया बगीचा मामले का जिन्न नही छोड़ रहा पेड़ काटने वालों का पीछा, एनजीटी के बाद ईडी के निशाने पर

गोपाल चतुर्वेदी ब्यूरो चीफ मथुरा

पवित्र तीर्थ नगरी में धन कुबेरों द्वारा रात के अंधेरे मै हरे पेड़ों पर चलाया गया कुलहाड़ा अब उनके ही गले की फांस बनता जा रहा है, सनातन धर्म मै आस्था रही है कि पेड़ो पर देवताओं का बास होता है किन्ही किन्ही पेड़ों पर तो प्रेत पिशाच जिन्न निवास तक करते रहे है, लगता है इन्ही 450 पेड़ों मै किसी न किसी पेड़ पर कोई जिन्न निवास करता होगा जिसका आशियाना इन धन कुंवेरो ने उजाड़ दिया अब वह जिन्न इन के पीछे लग गया है जो इस फूलप्रूफ प्लान के तहत किए गए कार्य और बड़े बड़े तिकड़म वाजो को इस कांड मै शामिल कर बढ़ी प्लानिग के तहत इस दुस्साहसिक घटना को अंजाम दिया गया ईमानदार पत्रकारों के अपने कर्तव्य का पालन करने के कारण सभी की सभी तिकड़म फेल हो रही है ।

 

जब इन पूजीपतियों ने इस वारदात को अंजाम देने की भूमिका बनाई होगी तव इस वात का अंदाजा नहीं रहा होगा कि मामले की फांस इस तरह उलझेगी कि इसे निकालने के लिए सारी मक्कारी धरी की धरी रह जायेगी रही सही कसर मथुरा के उन पत्रकारों ने पूरी कर दी जिनके अभी जमीर जिंदा बचे है इस मामले को इस तरह जनता के बीच लेकर गए जिसके कारण बड़े बड़े इन भूमाफियाओं के राजनैतिक आकाओं ने भी इस मामले से दूरी बना रखी है , मथुरा से लेकर लखनऊ तक , लखनऊ से लेकर दिल्ली तक सभी लोग पेड़ों के मामले से बचते दिखाई दे रहे है, सुनने मै तो ये भी आया है कि जिस मालिक के नाम का इस्तेमाल अपने बचाव के लिए आगे किया गया वो खुद बचता फिर रहा है मथुरा के थाना जैत की पुलिस 6 दिन से कलकत्ता मै डेरा डाले पढ़ी रही जिसका वन विभाग की एफआईआर मै नाम दर्ज है उसके लिए पर वह भी सामने नहीं आया और अपने वकील के द्वारा लिखित जवाब दाखिल कर रास्ता पकड़ लिया।

 

अब तक जो लोग अपने आप को मथुरा पुलिस और एनजीटी की कार्यवाही से बचते दिखाई दे रहे थे अभी उन्हें राहत की सांस मिलती दिखाई नही दे रही सूत्रों से पता चला है कि डालमिया बगीचे का सौदा बहुत मोटा था जिसके कारण अब ईडी के भी कान खड़े हो गए अब इस मामले मै ईडी भी कार्यवाही करने का मूढ़ बना रही है जिसके लिए साक्ष जुटाए जा रहे है।

 

 

18 सितंबर की रात को छटीकरा रोड स्थित डालमिया फार्म हाउस में गुरु कृपा तपोवन प्रोजेक्ट के लिए बड़ी संख्या में मजदूर और जेसीबी की मदद से पेड़ काटे गए। इस मामले में अब तक चार मुकदमे दर्ज हो चुके हैं। चर्चा है कि पूरा प्रोजेक्ट 500 करोड़ रुपये से भी अधिक का है। मामले की गंभीरता को देखते हुए इस मामले में ईडी भी सक्रिय हो गई है। चर्चा है कि पिछले कई दिनों से ईडी के अधिकारी इस मामले में साक्ष्य एकत्रित करने के लिए यहां का चक्कर भी लगा चुके हैं। माना जा रहा है कि ईडी इस पर फोकस कर रही है कि इतना बड़ा खेल और इतने पैसे के लेनदेन का वास्तव में क्या कोई दस्तावेजी तरीका भी अपनाया गया है या पूरा लेनदेन वायदे पर ही चल रहा है। यही कारण है कि ईडी पेड़ काटने के आरोपी और प्रोजेक्ट में निवेश करने वालों की संपत्ति की अपने स्तर पर जांच कर सकती है।

 

 

इस पूरे प्रकरण में सबसे ज्यादा वे लोग फंस गए हैं जिन्होंने तपोवन में भूखंड बुक कराए हैं। एक लाख रुपये वर्ग गज से ऊपर का यहां रेट है और कई सौ प्लॉट यहां केवल कच्ची रसीद पर बुक किए जा चुके हैं। रसीद पर ही कुछ प्लाट रीसेल भी हो चुके हैं। ऐसे में प्लॉट बुक कराने वालों के इस समय पसीने छूट रहे हैं। चूंकि यह प्रोेजेक्ट अब फंस गया है और यहां का नक्शा भी स्वीकृत नहीं है तो ऐसे में प्लाॅट लेने वालों को अपनी रकम डूबती नजर आ रही है। हालांकि प्लॉटिंग करने वाले उन्हें भरोसा दे रहे हैं पर इस भरोसे से काम नहीं चल पा रहा है। यही कारण है कि दो दिन पूर्व ऐसे ही कुछ आवंटियों ने एक होटल में जाकर निवेशकों के यहां हंगामा भी किया था। कहा कि उनका पैसा तत्काल लौटाया जाये।

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