बेटियों का सम्मान प्रतिदिन करना चाहिए न केवल नवरात्रों में : शिव कुमार यादव

राजेश भारद्वाज स्टेट हैड

नवरात्रों में देवी तुल्य कन्याओं को भोजन कराने से जो परम आत्मिक आनंद एवं सुख कि अनुभूति होती है, उससे हृदय द्रवित हो उठता है। कन्या देवी का रुप है और जिस घर में इन देवी रुपी कन्याओं को पूजा जाता है, उस घर में रोग द्वेष सब नष्ट हो जाते हैं। जिस परिवार में औरतों को मान-सम्मान कि दृष्टि से देखा जाता है,वह परिवार कभी नहीं बिखरता। कन्याओं में माता के नौ अलग-अलग रुप होते हैं, जो दिल से नवरात्रि के नौ दिनों में माँ का उपवास रखकर हृदय से उसकी आराधना करता है माता उसके सभी कष्टों का नाश कर देती है और वह सुख समृद्धी और ऐश्वर्य प्राप्त करता है। माँ कि ज्योति उसके जीवन में उजाला ही उजाला कर देती है, और वह मन वांछित फल प्राप्त करता है।

हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार नवरात्री में कन्या पूजन का विशेष महत्व है, सनातन धर्म वैसे तो सभी बच्चों में ईश्वर का रूप बताता है, किन्तु नवरात्रों में छोटी कन्याओं में माता का रूप बताया जाता है, ऐसी मान्यता है कि जप और दान से देवी इतनी खुश नहीं होतीं, जितनी कन्या पूजन से होती हैं। अष्टमी व नवमी तिथि के दिन तीन से दस वर्ष की कन्याओं का पूजन किए जाने की परंपरा है। धर्म ग्रंथों के अनुसार तीन वर्ष से लेकर नौ वर्ष की कन्याएं साक्षात् माता का स्वरूप मानी जाती है। छल और कपट से दूर ये कन्याएं पवित्र बताई जाती हैं और कहा जाता है कि जब नवरात्रों में माता पृथ्वी लोक पर आती हैं तो सबसे पहले कन्याओं में ही विराजित होती है।

शास्त्रों के अनुसार एक कन्या की पूजा से ऐश्वर्य, दो की पूजा से भोग और मोक्ष, तीन की अर्चना से धर्म, अर्थ व काम, चार की पूजा से राज्यपद, पांच की पूजा से विद्या, छ: की पूजा से छ: प्रकार की सिद्धि, सात की पूजा से राज्य, आठ की पूजा से संपदा और नौ की पूजा से पृथ्वी के प्रभुत्व की प्राप्ति होती है।

अतः व्रत और कन्या पूजन के बिना नवरात्र पूजन अधूरा है, नौ कन्याओं को नौ देवियों के प्रतिबिंब के रूप में पूजने के बाद ही भक्त का नवरात्र व्रत पूरा होता है। अपने सामर्थ्य के अनुसार उन्हें भोग लगाकर दक्षिणा देने मात्र से ही मां दुर्गा प्रसन्न हो जाती है। शास्‍त्रों के अनुसार कन्‍या पूजन के लिए दुर्गाष्‍टमी के दिन को सबसे ज्‍यादा महत्‍वपूर्ण और शुभ माना गया है।कन्याओं का देवियों की तरह आदर सत्कार और भोज कराने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों को सुख समृद्धि का वरदान देती हैं। सामाजिक संगठन मानव अधिकार परिषद रेवाड़ी के वरिष्ठ जिला उपाध्यक्ष एवं प्रतिध्वनि एक गूंज के जिला अध्यक्ष शिव कुमार यादव ने बताया कि *केवल 9 दिन ही नहीं अपितु जीवनभर करें इनका सम्मान*

नवरात्रों में भारत में कन्याओं को देवी तुल्य मानकर पूजा जाता है। परन्तु कुछ लोग नवरात्रि के बाद यह सब भूल जाते हैं। बहुत जगह कन्याओं का शोषण होता है और उनका अपमान किया जाता है आज भी भारत में बहुत सारे गांवों में कन्या के जन्म पर दुःख मनाया जाता है, ऐसा क्यों ? क्या आप ऐसा करके देवी मां के इन रूपों का अपमान नहीं कर रहे हैं। कन्याओं और महिलाओं के प्रति हमें अपनी सोच बदलनी पड़ेगी, देवी तुल्य कन्‍याओं का सम्मान करें इनका आदर करना ईश्‍वर की पूजा करने जितना पुण्‍य देता है। शास्‍त्रों में भी लिखा है कि जिस घर में औरत का सम्‍मान किया जाता है वहां भगवान खुद वास करते हैं। अतः हमें न केवल नवरात्रों में अपितु हर दिन बेटियों का सम्मान करना चाहिए।

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