दिल्ली में आंदोलन समाप्ति पर किए गए वायदे शीघ्र पूरे न हुए तो दिल्ली रवाना होंगे भाकिमयू कार्यकर्ता : महेंद्र

अभिषेक चौहान सब ब्यूरो शाहजहांपुर 

दिल्ली आंदोलन के समर्थन में भा कि म यू राष्ट्रवादी ने सौंपा राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन

शाहजहांपुर / दो वर्ष पूर्व दिल्ली में चले किसान आंदोलन को समाप्त कराने के लिए सरकार द्वारा किसानो की सभी मांगों को मान लिया गया था किंतु दो वर्ष पूर्ण होने के बाद भी अभी तक अपने वायदे पर खरी नहीं उतरी जिस कारण किसान भाइयों को दोबारा आंदोलन में उतरना पड़ा उपरोक्त बात भारतीय किसान मजदूर यूनियन के जिला अध्यक्ष महेंद्र यादव ने कही आज उनके द्वारा दिल्ली आंदोलन में किसानो का समर्थन करते हुए जिला प्रशासन के माध्यम से राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजा गया जिसमे किसानो की मांगों को अतिशीघ्र मानते हुए आंदोलन समाप्त करने की बात कही है ।

 

दिए गए ज्ञापन में उन्होंने कहा है की विगत दो वर्ष पूर्व 17 सितंबर 2020 से 11 दिसंबर तक किसान आन्दोलन चला था। जिसको समाप्त कराने को भारत सरकार द्वारा किसानो की सभी मांगो को मान लिया था लेकिन अभी तक लागू नहीं किया गया। इसलिये दो वर्ष बाद किसानो को पुनः मजबूर होकर दिल्ली का रुख अपनाना पड़ा।उन्होंने बताया की किसानो की मांगों में मुख्य रूप से फसलो की एम०एस०पी० पर खरीद गारंटी कानून बने। किसान और खेतिहर मजदूरों का कर्जा माफ होना चाहिए और उन्हे 10 हजार रुपये प्रतिमाह पेंशन दी जाये। भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 फिर से लागू किया जाये। किसान आन्दोलन में मारे गये किसानो के परिवार वालो को मुआवजा और मृतक आश्रित को सरकारी नौकरी दी जाये। मनरेगा के तहत प्रतिवर्ष 200 दिनो के लिये रोजगार उपलब्ध कराये जाये। मजदूरी प्रतिदिन बढ़ाकर 700 रुपये की जाये। मुक्त व्यापार समझौते पर रोक लगनी चाहिये। लखीमपुर तिकुनिया काण्ड में दोषियों को सजा मिले तथा किसानो को जेल से तत्काल रिहा किया 8 जाये। नकली बीज, कीटनाशक और खाद बनाने वाली कम्पनियों के खिलाफ कड़ा कानून बनाया जाये। बिजली संसोधन विधेयक 2020 रद्द किया जाये। मसाले वाली फसलो के लिये राष्ट्रीय आयोग का गठन किया जाये। डब्लू-टी-ओ समझौता रद्द किया जाये।

 

उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा यदि तत्काल केन्द्र सरकार द्वारा किसानो की मांगो का समाधान नही किया गया तो भारतीय किसान मजदूर युनियन (राष्ट्रवादी) के साथ जनपद शाहजहांपुर के किसान भी दिल्ली आन्दोलन में भाग लेने के लिये कभी भी रवाना होगें। दौरान आन्दोलन किसी भी अप्रिय घटना की समस्त जिम्मेदारी केन्द्र, राज्य सकरार एवं प्रशासन की होंगी।

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