श्री स्कंद शिव महापुराण कथा के अष्टम दिवस पर कथा व्यास संत प्रशांत प्रभु जी महाराज ने शिव विवाह का दिव्य प्रसंग सुनाया।

अभिषेक चौहान ब्यूरो शाहजहांपुर

शाहजहाँपुर – श्री स्कंद शिव महापुराण कथा के अष्टम दिवस पर कथा व्यास संत प्रशांत प्रभु जी महाराज ने शिव विवाह का दिव्य प्रसंग सुनाया। कथा स्थल पर जैसे ही यह प्रसंग आरंभ हुआ, संपूर्ण वातावरण मंगलमय हो उठा। श्रोता भावविभोर हो गए और लगने लगा मानो कैलाश, काशी और कनखल तीनों ही पवित्र धाम एक ही स्थल पर साकार हो उठे हों।

 

प्रशांत प्रभु जी ने वर्णन किया कि माता पार्वती, जो पूर्व जन्म में सती के रूप में शिव की पत्नी थीं, उन्होंने पुनर्जन्म लेकर हिमालयराज की पुत्री बनकर शिव को पुनः पाने का संकल्प लिया।

 

छोटे से आयु में ही उन्होंने योग का मार्ग अपना लिया। वन में कंद-मूल खाकर, कभी निर्जल रहकर, कभी अग्नि के मध्य बैठकर कठोर तपस्या की।शिवजी, जो वैराग्य के परम आराध्य हैं, बार-बार पार्वती की परीक्षा लेते रहे। कभी ब्राह्मण का वेष धारण कर पार्वती से बोले,क्या तुम उस शिव से विवाह करना चाहती हो, जो श्मशान में रहता है, भूतों की संगति करता है?पर पार्वती अडिग रहीं। उन्होंने उत्तर दिया जिसके चरणों में ब्रह्मा-विष्णु तक नत हैं, वह भला मेरे लिए अयोग्य कैसे हो सकता है?”

 

इधर देवगण भी चिंतित थे, क्योंकि बिना शिवजी के विवाह के ताड़कासुर जैसे राक्षसों का अंत असंभव था। तब सभी देवतागण शिवजी के ध्यानस्थ रूप में जाकर उनसे विवाह की प्रार्थना करते हैं। शिवजी ने पार्वती की तपस्या से प्रसन्न होकर उनके तपोवन में स्वयं प्रकट होकर उन्हें वरदान दिया।

 

फिर आया विवाह का शुभ दिन

कैलाश से निकली भगवान शिव की बारात मुख्य बाराती नंदी, भूत, प्रेत, गण, अघोरी, पिशाच, वेताल, महाकाल जैसे शिवगण…

दूल्हा ऐसा जिसकी जटाओं से गंगा बहती है, शरीर पर भस्म लगी है, गले में नागों की माला है और वाहन है नंदी बैल।

 

जब यह बारात पार्वती के महल पहुँची तो माता मैनावती बेहोश हो गईं। उन्होंने कहा मैंने तो सोचा था कोई सुंदर राजकुमार आएगा, यह तो भूतों का राजा लग रहा है!तब नारद जी ने उन्हें समझाया “यह जो बाहर से अजीब लगते हैं, वही भीतर से परमब्रह्म हैं। शिव के बिना सृष्टि अधूरी है।”

 

फिर विधिवत विवाह संपन्न हुआ।ब्रह्मा जी ने पुरोहित बनकर विवाह संस्कार कराया, विष्णु जी ने कन्यादान किया।चारों वेदों का उच्चारण हुआ, देवगण पुष्पवर्षा करने लगे, ऋषियों ने मंगल गान किए।शिव बोले—हे पार्वती! तुम अब केवल मेरी अर्धांगिनी नहीं, मेरी शक्ति हो। तुम बिना मैं शव हूँ।”

 

 

सभी श्रद्धालुओं ने इस प्रसंग को सुनकर शिव-पार्वती के प्रेम, तप और विवाह की गरिमा को अनुभव किया।आज की कथा में दीपक शर्मा वरिष्ठ जेल अधीक्षक मिजाजी लाल प्रणब वशिष्ठ हरि शरण बाजपेई अखिलेश सिंह गौरव त्रिपाठी विष्णु मिश्रा पुरुषोत्तम गुप्ता विश्व मोहन बाजपेई नीरज वाजपेयी ने पहुँचकर शिव विवाह आरती में सहभागिता की और संतों का आशीर्वाद प्राप्त किया।

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