उ0प्र0रा0सि0पें0परि0 के पदाधिकारियों ने वित्त विधेयक 2025 में किए गए पेंशन से संबंधित संशोधन के विरोध एवं उत्पन्न समस्याओं के समाधान के संबंध में प्रधानमंत्री एवं मुख्य मत्री को सम्बोधित ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपा।

मृदुल कुमार कुलश्रेष्ठ सिटी रिपोर्टर मैनपुरी

 

मैनपुरी। उ0प्र0रा0सि0पें0परि0 के पदाधिकारियों द्वारा वित्त विधेयक 2025 में किए गए पेंशन से संबंधित संशोधन के विरोध एवं उत्पन्न समस्याओं के समाधान के संबंध में एक ज्ञापन जिलाधिकारी को सौंपा गया।

ज्ञापन में कहा गया कि केन्द्रीय सिविल सेवा (CCS) पेंशन नियम2025 विधेयक पेश करते समय पेंशनर्स के हितधारकों के साथ कोई चर्चा किए विना पेंशनभोगियों के हितों के खिलाफ सीसीएस (पेंशन) नियमों में संशोधन किया गया है। संशोधन में वर्तमान में पेंशनर्स को 8वें वेतन आयोग के लाभों से बाहर रखा गया है, एवं उन्हें *केवल* उन केन्द्रीय सरकारी पेंशनर्स ‌के लिए लागू किया गया है,जो 8वें वेतन आयोग की सिफारिशों के लागू होने के पश्चात सेवानिवृत होंगे। एक रैंक एक पेंशन हमेशा सशस्त्र बलों के एवं अन्य कार्मिको की मांग रही है, एवं भूतपूर्व और भावी पेंशनभोगियों के बीच समानता केन्द्र सरकार के नागरिक पेंशन भोगियों की मांग रही है।

5वें केन्द्रीय वेतन आयोग एवं 6वें केन्द्रीय वेतन आयोग ने भूतपूर्व और भावी पेंशनभोगियों के बीच समानता प्राप्त करने की आवश्यकता के वारे में विशेष रूप से से सिफारिशें की है, एवं उन्हें लागू भी किया गया है। वर्तमान और भावी सेवा निवृत्त कार्मिकों के बीच संशोधित समानता बनाये रखने के उद्देश्य से समान लाभ दिये जाने के 6वे केन्द्रीय ‌वेतन आयोग की सिफारिशों को सरकार ने स्वीकार किया, एवं लागू भी कर रहे थे और वेतनमान किया। इसी प्रकार 7वें केंद्रीय वेतन आयोग ने दिनांक 01/01/2016 से पहले सेवानिवृत्त हुए, पेंशनभोगियों एवं 01/01/2016 के पश्चात सेवा निवृत्त हुए, पेंशनभोगियों के बीच समानता की सिफारिश को भी स्वीकार करते हुए,उसे लागू भी किया गया।

इसके अतिरिक्त मा0 सर्वो्च न्यायालय में सिविल अपील संख्या 10857/2016 में अपने पारित निर्णय आदेश में स्पष्ट रूप से फैसला दिया है, कि संशोधित पेंशन प्रदान करने के उद्देश्य से पेंशनभोगियों की दो श्रेणियां बनाने का कोई वैद्दय औचित्य नहीं है।एक वे जो 1996 से पहले सेवानिवृत हुए, और दूसरे वे जो 1996 के पश्चात सेवा निवृत्त हुए हो। इस तरह के वर्गीकरण की संशोधित पेंशन प्रदान करने के उद्देश्य और प्रयोजन से कोई सम्बन्ध नहीं है। जो विधेयक को लोकसभा में पारित कर दिया गया है, जिस पर जानकारी में आया है, कि दिनांक 31/12/2025 से पहले के पेंशनर्स और 01/01/2026 के लिए बाद में सेवानिवृत्त पेंशनर्स को आपस में बांटने का परिलक्षित प्राविधान जैसा है, जो कि हानिकारक की स्तिथि में बहुत ही निंदनीय है। विधेयक में दिये गये, प्राविधानों में 31/12/2025 से पूर्व से पेंशन प्राप्त कर रहे, पेंशनर्स को आठवें वेतन आयोग के लाभ नहीं दिये जायेगें,यह प्रस्ताव निर्णय आदेश किये पेंशनर्स और वरिष्ठ नागरिकों के हितों पर सीधा सीधा कुठाराघात है,जो कि किसी भी हालत में स्वीकार्य एवं मान्य नहीं होगा,यह संविधान की मूल भावना एवं अनुच्छेद 14 और मा0 सर्वोच्च न्यायालय के दिनांक 17/12/1982 के डी एस नकारा केस के फ़ैसले का उलंघन एवं भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्बारा सिविल अपील संख्या 1123/2015 में दिनांक 01/07/2015 को दिये गये। ऐतिहासिक फैसला की मुख्य विशेषताएं निम्नवत है :

1-पीठ ने अधिकारपूर्वक फैसला सुनाया है,कि पेंशन एक अधिकार है, और इसका भुगतान सरकार के विवेक पर निर्भर नहीं करता है। पेंशन नियमों द्बारा शासित होती है उन नियमों के। अन्तर्गत आने वाला कोई भी सरकारी कर्मचारी पेंशन का दावा करने का हकदार हैं।

2-फैसले में माना गया है कि पैंशन का संशोधन और वेतनमान का संशोधन अविभाज्य है।

3-पीठ ने दोहराया है,कि संशोधन पर मूल पेंशन पूर्व- संशोधित वेतनमान के अनुरूप संशोधित वेतनमान में वेतन बैंड के न्यूनतम में मूल पेंशन के 50%से कम नहीं हो सकती है।

4-सरकार पेंशनभोगियों के वैद्य वकाये को अस्वीकार करने के लिए वित्तीय वोझ का बहाना नहीं वना सकती ।

5-सरकार को अनावश्यक मुकदमेवाजी से‌ बचना चाहिए

और मुकदमबाजी के लिए किसी मुकदमवाजी को बढ़ावा नहीं देना चाहिए।

6-जब पेंशन को एक अधिकार माना जाता है, न कि एक वरदान,तो इस कथन के अनुसार कि पेंशन में संशोधन और वेतनमान में संशोधन अविभाज्य है, पेंशन का उन्नयन भी एक अधिकार है, न कि एक वरदान। यह निर्णय डी0एस0नकारा मामले के निर्णय पर आधारित है, नियम एवं निर्णय बहुत स्पष्ट है।

भविष्य में उक्त नियम सभी केंद्रीय/राज्य कर्मचारी/ पेन्शनर्स पर लागू होंगे उत्तर प्रदेश के सभी पेन्शनर्स दिनांक 25/0 3/ 25 को लोक सभा में पारित किए गए उक्त विधेयक निर्णय कर्मचारी/ पेन्शनर्स विरोधी है़, सभी पेन्शनर्स एंव कर्मचारी उसकी भर्त्सना एंव निंदा करते हैं और मांग करते हैं कि कर्मचारी/पेन्शनर्स के उक्त निर्णय पर पुनः सकारात्मक विचारोपरांत पेंशनर्स/कार्मिकों के हितार्थ विचार कर मा0 सर्वोच्च न्यायालय के उपरोक्त एवं अन्य पारित निर्णयों पर सहानुभूति पूर्वक विचार कर पेंशनर्स/कार्मिकों के हितार्थ उनका संज्ञान लेकर संशोधित निर्णय आदेश किये जाने की अपने पेंशनर्स कार्मिकों के हितार्थ उदारतापूर्वक निर्णय लेने की अपील की एवं संशोधित आदेश कराने को कहा है।

आज दिया गया ज्ञापन प्रान्तीय नेतृत्व की आम सहमति से माननीय प्रधानमंत्री भारत सरकार नई दिल्ली एवं मा0मुख्य मत्रीउ0प्र0सरकार को सम्बोधित प्रदेश के प्रत्येक जनपद स्तर से सम्बंधित जिलों के जिलाध्यक्ष/महामंत्री एवं सभी सम्मानित पेंशनर्स द्बारा हस्ताक्षरित जिलाधिकारी के माध्यम से प्रेषित किया गया। ज्ञापन देने वालों में उ0प्र0रा0सि0पें0परि0 लखनऊ के प्रान्तीय अध्यक्ष सुरेश चंद्र, ओमप्रकाश श्रीवास के नेतृत्व में परिषद व अन्य पेंशनर्स संगठनों के पदाधिकारियों राजेन्द्र सिंह यादव पूर्व जिलाध्यक्ष प्रा0शि0संघ, शोभा राम यादव प्रदेश उपाध्यक्ष, श्याम सिंह जनपद अध्यक्ष, संत कुमार नगर क्षेत्र मैनपुरी आदि अन्य पदाधिकारीगण एवं उनके जागरूक साथी पेंशनर्स एसोसिएशन के दूरस्थ क्षेत्रों से पधारे सदस्यगणों एवं अन्य उपस्थितों सैकड़ों पेंशनर्स मौजूद रहे ।

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