प्रकृति का उपयोगी टॉनिक है अश्वगंधा आइए जानते हैं इसके फायदे विशाल गुप्ता के साथ

विशाल गुप्ता मुख्य संपादक 9026309999

प्रकृति का उपयोगी टॉनिक है अश्वगंधा

 

अश्वगंधा आयुर्वेद की एक खास औषधि है। इसका एक से दो फीट ऊंचा पौधा भारतीय

 

उपमहाद्वीप के सभी ऊष्ण खंडों में पाया जाता है। राजस्थान व मध्यप्रदेश में अश्वगंधा की व्यावसायिक खेती होती है। नागौर क्षेत्र की अश्वगंधा उत्तम मानी जाती है। वैसे तो अश्वगंधा के पौधे के सभी भागों के औषधीय गुण हैं, परंतु जड़ को बेहतर माना जाता है।

 

गुणों से भरपूर है अश्वगंधाः यह स्वाद में किंचित तिक्त तथा गुण में लघु एवं प्रभाव में ऊष्ण होती है। आयुर्वेदिक मान्यताओं के अनुसार यह वात और कफ को शांत करते हुए पित्त की वृद्धि करती है। रासायनिक संघटन की दृष्टि से अश्वगंधा में उड़नशील तेल, विधिनोल और सोम्निफेरिन दो अल्कलायड पाए जाते हैं।

इसके तने और पत्तों के सत्व में पोटैशियम नाइट्रेट भी पाया जाता है। मस्तिष्क एवं संपूर्ण नाड़ी तंत्र के लिए यह अत्यंत लाभदायक औषधि है। इसमें तनावरोधी गुण भी हैं और यह प्रतिरक्षा तंत्र को बल देते हुए उत्तेजक, वाजीकर, शोथघ्न तथा शामक प्रभाव देती है। आयुर्वेदिक ग्रंथ भावप्रकाश निघंटु में अश्वगंधा को बल्य, रसायन एवं स्वास्थ्यवर्धक कहा गया है। इसका प्रयोग नाड़ी तंत्र विकारों, साधारण कमजोरी, जोड़ों के दर्द तथा अनिद्रा जैसी स्थितियों में किया जाता है।

 

प्रयोग के तरीके,,

 

थकान और तनाव

 

में अश्वगंधा का दो ग्राम चूर्ण रात को गर्म दूध के साथ लेने से नर्क्स सिस्टम को बल मिलता है। साथ ही घबराहट और बेचैनी कम होती है तथा नींद न आने की अवस्था में भी कुछ ही दिनों में लाभ दिखने लगता है। ढलती उम्र में होने वाली साधारण कमजोरी, बिना वजह की थकान तथा नाड़ी तंत्र की दुर्बलता में भी इसे लगातार प्रयोग किया जा सकता है।

 

मिलते हैं अनेक लाभ

 

1• जोड़ों के दर्द और कमर दर्द में सेवन करने से अश्वगंधा शोथ और जकड़न को दूर करती है।

 

2• मेनोपाज की अवस्था में एक ग्राम अश्वगंधा, एक ग्राम शतावरचूर्ण तथा एक ग्राम पिसी मिश्री सुबह और शाम लेने से हार्मोन संतुलन सुधरता है।

 

3• कमजोर बच्चों के लिए मक्खन व अश्वगंधा बलाबल के लिए उपयोगी है।

 

4• अश्वगंधा को सम मात्रा में विधारा नामक जड़ी के साथ मिलाने से

 

अश्वगंधादि चूर्ण बनता है जिसका प्रयोग पुरुषों के विकारों में होता है

 

• इसका प्रयोग अश्वगंधारिष्ट, अश्वगंधा चूर्ण और अश्वगंधा घृत में किया जाता है।

 

• अकेले अश्वगंधा को एक बार में दो ग्राम की मात्रा तक लिया जा सकता है।

 

 

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