दुबई का सुशासन: ‘भय बिनु होय न प्रीत’ की जीवंत मिसाल है -लेखक नरेश चौहान ‘राष्ट्रपूत’

राजेश भारद्वाज स्टेटे हेड हरियाणा

पिछले सप्ताह मुझे दुबई—विश्व प्रसिद्ध पर्यटक नगरी—में तीन रात और चार दिन बिताने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। यह मेरी पहली विदेश यात्रा थी, और अनुभव अविस्मरणीय रहा। रामचरितमानस की चौपाई “भय बिनु होय न प्रीत” वहां के प्रशासन की सजीव मिसाल प्रतीत हुई।

 

दुबई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, जहाँ हर तीन मिनट में विमान उतरते या उड़ान भरते हैं, अत्यधिक अनुशासित और सुव्यवस्थित नजर आया। न कोई अफरा-तफरी, न ही पुलिस की भारी भरकम मौजूदगी—फिर भी सब कुछ नियंत्रित। वहां के स्थानीय चालक ‘अमीर’ ने बताया कि यूएई सात अमीरातों का संघ है जहाँ राजशाही व्यवस्था के तहत सख्त कानून और अनुशासन कायम है।

 

दुबई की साफ-सुथरी सड़कों, स्वचालित ट्रैफिक व्यवस्था, और त्वरित डिजिटल अलर्ट सिस्टम ने बता दिया कि आधुनिक तकनीक और कड़ा कानून मिलकर क्या करिश्मा कर सकते हैं। यहाँ की 85% आबादी प्रवासी है, जिसमें बड़ी संख्या में भारतीय भी शामिल हैं, बावजूद इसके सामाजिक और सांस्कृतिक सौहार्द का शानदार उदाहरण देखने को मिला।

 

पर्यटक स्थलों का अद्भुत अनुभव

बुर्ज खलीफा, दुबई मॉल, गोल्ड मार्केट, ग्लोबल विलेज, मरीना और अटलांटिस बीच—हर स्थल भव्यता और निर्माण कला का अद्वितीय उदाहरण था। अबू धाबी का स्वामीनारायण मंदिर और भव्य मस्जिद आधुनिकता और परंपरा का संगम प्रस्तुत करते हैं।

 

डेजर्ट सफारी: शारजाह का नया आकर्षण

क्रिकेट के लिए प्रसिद्ध शारजाह आज डेजर्ट सफारी और साहसिक गतिविधियों के लिए पर्यटकों को आकर्षित कर रहा है। ऊंट की सवारी, बाइकिंग और सांस्कृतिक कार्यक्रम इस इलाके की पहचान बन गए हैं।

 

रोजगार और व्यापार की अपार संभावनाएँ

दक्षिणी हरियाणा सहित भारत के कई राज्यों से युवा यहां आईटी, निर्माण, रेस्टोरेंट और ट्रांसपोर्ट सेक्टर में सक्रिय हैं। मेरे अपने मित्र रवि चौहान, यशवीर तंवर, कमलेश शर्मा और बजरंग राठौड़ यहां सफल उद्यम चला रहे हैं।

 

निष्कर्ष:

दुबई की व्यवस्था, तकनीकी प्रगति और सुशासन भारत जैसे देशों के लिए एक प्रेरणा है। लौटते समय विमान में रामचरितमानस की पंक्तियाँ मन में गूंज रही थीं—

“बिनय न मानत जलधि जड़, गए तीन दिन बीत!

बोले राम सकोप तब, भय बिनु होय न प्रीत!

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