रेवाड़ी जिले के रामसिंहपुरा डंपिंग यार्ड में धधकता भ्रष्टाचार: गांवों में बीमारी, अधिकारियों की चांदी

राजेश भारद्वाज स्टेट हेड

रेवाड़ी। बावल उपमंडल के गांव रामसिंहपुरा स्थित डंपिंग यार्ड अब ग्रामीणों के लिए जी का जंजाल बन चुका है। आधा दर्जन से अधिक गांवों के लोग बदबू और धुएं से परेशान हैं, वहीं अधिकारियों और ठेकेदारों के लिए यह जगह कमाई का जरिया बनी हुई है। वर्ष 2019 में नगर परिषद रेवाड़ी ने नहर विभाग से करीब 14.5 एकड़ जमीन कचरा डालने के लिए ली थी, जहां अब मानेसर, धारूहेड़ा, बावल और एचएसआईआईडीसी का कचरा डंप किया जा रहा है।

 

यहां महीनों से कूड़े के ढेर सुलग रहे हैं, जिससे निकलने वाला जहरीला धुआं लोगों की सेहत बिगाड़ रहा है। ग्रामीणों के विरोध और आंदोलन के बाद भी हालात जस के तस बने हुए हैं।

 

कागजों में सफाई, हकीकत में सुलगता कूड़ा

नगर परिषद रेवाड़ी ने वर्ष 2020 में 250 मेट्रिक टन कचरे के निस्तारण के लिए टेंडर जारी किया था, लेकिन फर्म ने एक प्याली कचरे का भी निपटान नहीं किया। कागजों में सब ठीक दिखाया गया, मगर जमीन पर कुछ नहीं हुआ।

 

कूड़े से कमाई, जनता को तबाही

डोर टू डोर कलेक्शन से लेकर डंपिंग यार्ड तक कचरे के सफर में लाखों का भ्रष्टाचार छिपा है। कुछ समय पहले सीएम फ्लाइंग दस्ते ने धर्म कांटे की 51 फर्जी पर्चियां पकड़ी थीं, जिससे फर्जी तौल की पुष्टि हुई।

 

बार-बार लगती आग, छिपते हैं सबूत

कूड़े में लगने वाली आग से सबूत राख हो जाते हैं। जेसीबी मशीन हमेशा कूड़ा इकट्ठा करती दिखाई देती है और इसके किराये में भी गोलमाल की आशंका जताई जा रही है।

 

एनजीटी के आदेशों की खुलेआम उड़ रही धज्जियां

नगर निकाय एनजीटी के नियमों की अनदेखी कर रहे हैं। डंपिंग यार्ड में खाद बनाने की प्रक्रिया भी अधूरी पड़ी है।

 

टेंडर की खानापूर्ति, फाइल सीएम के पास अटकी

सितंबर 2024 और फिर दिसंबर 2025 में नए टेंडर की प्रक्रिया शुरू की गई थी। करीब 24.23 करोड़ रुपए की लागत से कूड़े का निस्तारण किया जाना है, लेकिन फाइल अभी भी सीएम की मंजूरी की राह देख रही है।

 

गांवों में महापंचायत, लेकिन कार्रवाई नदारद

अगस्त 2023 में 20 से अधिक गांवों के ग्रामीणों ने विरोध में महापंचायत की थी, लेकिन हालात बद से बदतर हो गए।

 

प्रदूषण विभाग और नगर परिषद का पक्ष

प्रदूषण विभाग के एसडीओ हरीश शर्मा ने कहा कि उन्होंने जुर्माना लगाया है और जल्द ही नोटिस देकर कार्रवाई की जाएगी।

नगर परिषद के कार्यकारी अधिकारी संदीप मलिक के अनुसार, 2.85 लाख मेट्रिक टन कचरे के निस्तारण के लिए टेंडर छोड़ा गया है।

वहीं चेयरपर्सन पूनम यादव ने कहा कि 24.23 करोड़ का एस्टीमेट मुख्यालय भेजा गया है और निस्तारण की अनुमति मिल चुकी है।

 

निष्कर्ष:

रामसिंहपुरा का डंपिंग यार्ड आज भ्रष्टाचार और लापरवाही की जीती-जागती मिसाल बन चुका है। जहां एक ओर ग्रामीण बीमारियों से जूझ रहे हैं, वहीं दूसरी ओर अधिकारी और ठेकेदार करोड़ों का खेल खेल रहे हैं।

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