स्कूल चलो अभियान के शुभारम्भ पर पूर्व मंत्री, विधायक भोगांव राम नरेश अग्निहोत्री द्वारा बच्चों को निःशुल्क पाठ्य पुस्तक वितरण की गई

मृदुल कुमार कुलश्रेष्ठ सिटी रिपोर्टर मैनपुरी

 

मैनपुरी 01 अपै्रल, 2025- स्कूल चलो अभियान के शुभारम्भ, निःशुल्क पाठ्य पुस्तक वितरण समारोह के बरेली से मा. मुख्यमंत्री जी द्वारा आयोजित कार्यक्रम के सजीव प्रसारण के उपरांत पूर्व मंत्री, विधायक भोगांव राम नरेश अग्निहोत्री ने कहा कि जब कोई समाज शिक्षा को आगे रखकर बढ़ता है, तब उसे आगे बढ़ने से कोई रोक नहीं सकता, स्कूल चलो अभियान का मुख्य उद्देश्य ऐसे बच्चे जो किसी कारणवश विद्यालय जाने से वंचित हैं, उनका पंजीकरण कराकर शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत उन्हें शिक्षा प्रदान करना है। उन्होने कहा कि आज शिक्षा का बदला स्वरूप दिख रहा है, विगत् 08 सालों में बदलते समय के साथ डिजिटल लर्निंग को बढ़ावा मिला है, पी.एम.श्री, कस्तूरबा गॉधी आवासीय विद्यालयों का उच्चीकृत किया जा रहा है, स्कूलों में स्मार्ट क्लासेस और डिजिटल लाइब्रेरी की सुविधायें उपलब्ध करायी जा रहीं हैं, ऑपरेशन कायाकल्प के अन्तर्गत प्राइमरी स्कूलों मूल-भूत सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करायी गयी है, आज प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में शैक्षिक वातावरण में भी सुधार हुआ है, प्राथमिक विद्यालयों के छात्रों को उच्च क्वालिटी का मध्यान्ह भोजन के साथ ही निःशुल्क पाठ्य पुस्ताकों के अलावा रू. 1200 उनके खातों मे भेजा जा रहा है, उक्त धनराशि से छात्रों के अभिभावक अपनी मर्जी से कॉपी-किताबें, ड्रेस-जूता-मोज क्रय कर सकते हैं। उन्होने उपस्थित शिक्षकों का आव्हान करते हुये कहा कि अपने-अपने विद्यालयों में पंजीकृत सभी बच्चों को प्रतिदिन स्कूल आने, जो बच्चे नियमित रूप से विद्यालय से अनुपस्थित रहें, उनके अभिभावकों से संवाद कर नियमित रूप से विद्यालय भेजने के लिए प्रेरित करें।

जिलाधिकारी अंजनी कुमार सिंह ने कहा कि बड़े हर्ष का विषय है कि आज हम सब यहां एकत्र हुये हैं, यह बच्चे बार-बार मुझे अपने बचपन में खींचकर ले जा रहे हैं, ऐसे ही हम सब प्राइमरी विद्यालयों में पढ़ा करते थे। उन्होने उपस्थित छात्रों से कहा कि आज आपके विद्य़ालयों में काफी अच्छी सुविधाऐं उपलब्ध हैं, आप सबको ड्रेस, पाठ्य पुस्तकें प्रदेश सरकार की ओर से निःशुल्क प्रदान की जा रही हैं, विद्यालयों में टाईलीकरण हो चुका हैं, आपके अध्यापक भी शिक्षित, योग्य हैं, समस्त मूल-भूत सुविधाएं आपके विद्यालयों में उपलब्ध हैं, पहले इतनी अच्छी सुविधाएं नहीं होती थीं लेकिन सपने वैसे ही थे जैसे आपके हैं, पहले जिसने भी सपने देखे और कठिन परिश्रम किया तो उसने कुछ न कुछ अपने जीवन में अच्छा किया है। उन्होने शिक्षकों से कहा कि बच्चों को हमेशा उत्साहित करें, बच्चों की समझ उनकी उम्र के हिसाब से होती है, उनकी उम्र से आगे बढ़कर सपने दिखाने का कार्य आप सबको निभाना है, उपस्थित छात्रों से संवाद करने पर अधिकांश छात्रों ने पुलिस सेवा में जाने की जिज्ञासा दिखाई, बच्चों को लगता है कि पुलिस सबसे ज्यादा पावरफुल होती है, पुलिस से सभी डरते हैं, इसलिए ज्यादातर बच्चों के दिमाग में पुलिस की बात आयी।

उन्होने कहा कि सपने दिखाने की जिम्मेदारी अध्यापक की होती है, बच्चों को क्या सपने देखना है, यह तभी तय होगा जब आप इन्हें बताआगे कि आप क्या-क्या कर सकते हो, आप बच्चों के अंदर सपनों का बीज रोपेंगे तो इन्हीें में से तमाम बच्चे उच्च पदों पर आसीन होंगे, अभी इन बच्चों के अंदर सिर्फ एक पुलिस और सिपाई ही बड़े पावरफुल दिखते है। उन्होने उपस्थित शिक्षकों से कहा कि आप सब बच्चों को पूरी ईमानदारी, निष्ठा के साथ अच्छी शिक्षा दें, ये बच्चे कच्ची मिट्टी के समान हैं, इनको अच्छा आकार देने की जिम्मेदारी आपकी है, किस बच्चे में क्या गुण है, यह पहचानना भी आपकी जिम्मेदारी है, हर व्यक्ति अच्छा कर सकता है हर व्यक्ति की प्रतिभा अलग-अलग होती है, जो एक अच्छा क्रिकेटर बन सकता है वहीं दूसरा बच्चा एक अच्छा गायक बन सकता है, तीसरा बच्चा गणित में बहुत अच्छा कर सकता है, इनकी प्रतिभा को निखारने के साथ-साथ इन्हें संस्कारवान बनाने की जिम्मेदारी भी शिक्षकों को निभानी है। उन्होने कहा कि हर बच्चे को उसका नाम, प्रतिभा का ज्ञान हो, हर बच्चे के अंदर प्रतिभा छिपी होती है, उस प्रतिभा को शिक्षकों को पहचानने की आवश्यकता है, शिक्षा को मनोरंजक बनाना और तार्किक बनाना यह बहुत ही आवश्यक है। उन्होने कहा कि मस्किष्क में उसके वातावरण, परवरिश के हिसाब से जो ग्रथिंया बनती है उससे विमुक्ति का नाम ही शिक्षा है, ’’यह मैं नहीं कर सकता’’ यह भी एक ग्रथीं है इससे विमुक्त होने का नाम शिक्षा है, क्या आप सब इस तरह से बच्चों को विद्यादान कर रहे हैं, यह चिन्तन करने का विषय है, प्रदेश सरकार सरकारी विद्यालयों में हर सुविधा मुहैया करा रही है, उसके बाद भी कुछ विद्यालयों में शिक्षकों द्वारा बच्चों के ऊपर ध्यान नहीं दिया जा रहा, आप शिक्षा को मनोरजक बनायें ताकि बच्चा अपने माता-पिता से जिद करके विद्यालय आये, बच्चे को विद्या से ज्यादा कोई दूसरा कार्य अच्छा न लगे और शिक्षा को रोचकता के साथ ग्रहण करें, बच्चों के अंदर प्रतिस्पर्धा की भावना जाग्रत करें, एक-दूसरे से आगे बढ़ने की होड़ सिखायें, आप इस तरह से शिक्षा देंगे तो निश्चित ही बच्चा स्कूल आने की जिद करेगा और प्रगति के मार्ग पर अग्रसर होगा।

मुख्य विकास अधिकारी नेहा बंधु ने उपस्थित अध्यापकों से कहा कि बच्चे सभी बुद्धिमान होते हैं, बच्चों के अंदर प्रतिभा की कोई कमी नहीं है, हर बच्चे में अलग-अलग प्रतिभा होती है, बच्चों के अंदर छिपी हुयी प्रतिभा को निखारने की आवश्यकता है, बच्चे, बच्चियों में बिना भेद-भाव के शिक्षा प्रदान करें, उनके स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दिया जाये। उन्होने उपस्थित छात्रों से कहा कि बाहर के खाने से बचें, अच्छा खाने से हमारा मन-मस्तिष्क स्वस्थ्य रहता है, अच्छा खाने से हमारी सोच बदलती है, अच्छा खान-पान आगे बढ़ने में हमारी सहायता करता है। उन्होंने कहा कि आज कल के बच्चे काफी जिद्दी होते हैं लेकिन जिद हमें अच्छी चीजों की पालनी चाहिए, किसी भी क्षेत्र में सफलता हासिल करने के लिए मेहनत बहुत ही आवश्यक है, बिना मेहनत के कोई भी मुकाम हासिल नहीं किया जा सकता। उन्होने कहा कि सभी बच्चे अनुशासित रहें, अपने शिक्षकों का कहना मानें, दिये गये होमवर्क को समय से करें, अनुशासन और अभ्यास से आप सब अपना आत्म विश्वास बढ़ा सकते है, सारी चीजें अनुशासन और अभ्यास से सीखने पर मिलती हैं। उन्हांेंनंे कहा कि आप सबके सामने आगे बढ़ने के लिए काफी अवसर हैं, छोटी-छोटी नौकरियों पर ध्यान न देकर आप सब अपने पंख फैलायें और जिस क्षेत्र में आप जाना चाहते हैं उसके लिए आप बचपन से ही एक रोल मॉडल बनाकर मेहनत करें।

विधायक भोगांव, जिलाध्यक्ष, जिलाधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी ने संजय, ओमकार, अनमोल, निशिका, ऋषभ, भूमिका, नैन्शी, आशीष, दिया, प्रियांशी को अपने कर-कमलों से पाठ्य पुस्तकें उपलब्ध करायी। इस दौरान जिलाध्यक्ष ममता राजपूत, पूर्व जिलाध्यक्ष अरविन्द तोमर, मनोरमा सिंह, कविता राठोर, सुमन दीक्षित, साधना गुप्ता के अलावा जिला विद्यालय निरीक्षक सतीश कुमार, जिला बेसिक शिक्षाधिकारी दीपिका गुप्ता, सहित बडी संख्या में छात्र-छात्राएं, शिक्षक, शिक्षिकाएं आदि उपस्थित रहे।

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