होली पब्लिक स्कूल में ‘‘संस्कार‘‘ पुस्तक के लोकार्पण के साथ विराट कवि सम्मेलन का हुआ आयोजन

मनोज कुमार शर्मा ब्यूरो चीफ

मैनपुरी, साहित्यकारों के सम्मान एवं स्मरण की श्रृंखला में प्रत्येक माह की 30 तारीख को होली पब्लिक स्कूल में काव्य गोष्ठी का कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। 30 मार्च 2025 दिन रविवार सांयकाल विराट कवि सम्मेलन एवं देवांशी माहेश्वरी की पुस्तक संस्कार का लोकार्पण एवं विमोचन किया गया। काव्य गोष्ठी की अ/यक्षता वरिष्ठ गीतकार डाॅ0 जयसिंह आर्य दिल्ली ने किया। मुख्य अतिथि वरिष्ठ कवि गाफिल स्वामी जी, अलीगढ़ थे। वरिष्ठ अतिथि साहित्यकार श्रीकृष्ण मिश्र, यश भारती से सम्मानित डाॅ0 दीन मोहम्मद दीन एवं बदन सिंह मस्ताना, ओजस्वी कवि सन्जू सूर्यम ठाकुर, दिल्ली थे। कार्यक्रम का संचालन साहित्यकार डाॅ0 हरिश्चन्द्र शाक्य ने किया। मंचासीन अतिथियों ने माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलित किया। सरस्वती वंदना देवांशी माहेश्वरी ने प्रस्तुत की। कवि सम्मेलन में फर्रूखाबाद कवियित्री रतनेश पाल, शिकोहाबाद, एटा से भी कवियों ने भाग लिया। मंचासीन अतिथियों का शाॅल, प्रतीक चिन्ह, मोती माला, पट्टका, लेखिनी से सम्मान किया। हरिश्चन्द्र शाक्य, सत्य सेवक मिश्र, डाॅ0 ऐ0सी0 तिवारी का भी सम्मान किया गया। कवि सम्मेलन ने देवांशी माहेश्वरी द्वारा रचित ‘संस्कार‘ काव्य संकलन का विमोचन एवं लोकार्पण मंचासीन अतिथियों द्वारा किया गया एवं डाॅ0 हरिशचन्द्र शाक्य ने पुस्तक की विस्तार से समीक्षा की। मंचासीन अतिथियों द्वारा ‘‘संस्कार‘‘ पुस्तक की समीक्षा एवं भूर-भूर प्रसंशा की। दिल्ली से सन्जू सूर्यम ठाकुर ने कहा- वतन की शान में यारों लहू अपना बहायेंगे, वदन में सांसे जब तक हैं तिरंगा ऊँचा उठायेंगे। दिल्ली से आये डाॅ0 जय सिंह आर्य ने कहा – भीड़ के साथ चलूँ मुझको यह मंजूर नहीं, खुद को मजबूर करूॅ मुझको ये मंजूर नहीं। मुझको आता है मुहब्बत से मुहब्बत करना मांग नफरत की भरूॅ मुझको यह मंजूर नहीं। अलीगढ़ से आये गाफिल स्वामी ने कहा- मैं तो कर्ज चुका ना पाया मेरा कर्ज चुकाया माँ ने। मरनते दम तक रोज दुआ दी, सदा नेह बरसाया माँ ने। यश कुमार मिश्रा ने कहा- संस्कारों को जीवन में बाॅधें रहो, प्रेम अर्पित करो मुसकुराते रहो। फरमान कुरावली ने कहा- सजाई आपसे महफिल यहाॅ जो गीत गजलों की देवांशी जी मैं तुमको मुबारकबाद देता हूॅ। पुष्पेन्द्र सिंह पुष्प ने कहा- पहले जैसी खुशबू ना है आज सियासी फूलों में और नफरती दंगे झूले आज मजहबी झूलों में। कवि सम्मेलन में कवि रमेश चन्द्र चक, सत्येन्द्र पाठक निडर, डाॅ0 संतोष द्विवेदी, डाॅ0 वी0के0 ंिसंह, राजेन्द्र तिवारी, प्रमोद भदौरिया, डाॅ0 अनिलमान मिश्र, हरवीर सिंह यादव, ओम प्रकाश वर्मा भोगाॅव, श्रीचन्द्र वर्मा, रमाकान्त शाक्य, डाॅ0 मनोज सक्सेना, शिवदत्त दुबे, कृष्ण पाल सिंह भदौरिया। कृष्ण बहादुर उपा/याय, डाॅ0 सुशील जैन कुरावली, सुरेन्द्र सौरभ, राम प्रकाश पाण्डेय, जय प्रकाश मिश्र, राज किशोर राज, संकल्प दुबे आगरा, नवाव सिंह राजपूत, ओ0पी0 श्रीवास, देवेन्द्र देव, सतीश दुबे, महिपाल सिंह सरल, कवियित्री महालक्ष्मी मेघा, उर्मिला पाण्डेय, रूचि असीजा, उपेन्द्र भोला आदि ने भी काव्य पाठ किया। कार्यक्रम में ज्ञानेन्द्र दीक्षित, जगदीश चन्द्र त्रिपाठी, ई0 एन0 अनम, उमेश चन्द्र दुबे, विजय भदौरिया, डाॅ0 अनुराग दुबे, हाकिम सिंह यादव, शिवराम सिंह चैहान, विनय द्विवेदी, रमेश चन्द्र द्विवेदी, विवेक राठौर, प्रेम बाबू कश्यप, दर्शन लाल राठौर एड0, डाॅ0 गोपाल मोहन सक्सेना, रमाकान्त शाक्य, मौजीराम, अभय शर्मा, डा0 के0के0 पाण्डेय, डा0 आनन्द प्रकाश शाक्य, डा0 महेश कुमार द्विवेदी, सूर्यकान्त त्रिपाठी, नवाब सिंह राजपूत, संजू पंडित, डा0 जितेन्द्र सक्सेना, रामरतन गुप्ता, वी0के0 शर्मा, हरिनन्दन सिंह, राम प्रकाश पाण्डेय आदि प्रमुख रूप से उपस्थित थे। कार्यक्रम के अंत में संयोजक विनोद माहेश्वरी ने सभी अतिथियों, कवियों एवं श्रोताओं को धन्यवाद दिया।

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