बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान के 10 वर्ष पूर्ण होने पर “मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन” जागरूकता कार्यक्रम संपन्न

मृदुल कुमार कुलश्रेष्ठ सिटी रिपोर्टर मैनपुरी

 

मैनपुरी 03 मार्च, 2025- बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान के 10 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में आयोजित मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन विषयक जागरूकता कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जिलाधिकारी अंजनी कुमार सिंह ने कहा कि पहले से समाज में बहुत परिवर्तन हुआ है अभी और परिवर्तन की गुंजाइश है और इस परिवर्तन के वाहक यही बच्चे बनेंगे, जिन्होंने आज मासिक धर्म पर आधारित कार्यक्रम प्रस्तुत किए हैं। उन्होंने कहा कि एक चुप्पी के कारण बेटियों को तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ता है, तमाम महिलाएं, बालिकाएं असमय काल का शिकार हो जाती हैं। उन्होंने कहा कि जब से मानवता की शुरुआत हुई है, तब से कहा गया है कि जहां नारियों की पूजा होती है, वहां भगवान वास करते हैं, जहां नारी की पूजा नहीं होती, वहां सारे क्रिया-कलाप निष्क्रिय होते हैं, यह सब किताबों, नवरात्रि में कहा गया लेकिन बाकी समय में हमें दोयम दर्जे का व्यवहार मिला और यह कुछ हद तक सच भी है, बहुत से लोगों में इस बात का असंतोष होगा लेकिन नारी की इससे बढ़कर पूजा नहीं हो सकती कि आज विगत 03 घंटे से केवल नारियों के बारे में ही चर्चा हो रही है, कार्यक्रम में श्रोता भी नारी, कार्यक्रम की शुरुआत करने वाली भी नारी और कार्यक्रम का आयोजन कराने वाली भी नारी, तमाम कवियों ने नारी को श्रद्धा का पात्र बताया। उन्होने कहा कि प्रकृति में सृजन की सबसे बड़ी क्षमता नारी में है, यह विश्व का सबसे बड़ा चमत्कार है और सृजन की क्षमता आज के विषय पर आधारित है और हम इस विषय पर ही बात करने में संकोच करते हैं। उन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित महिलाओं का आव्हान करते हुए कहा कि आप इस विषय पर खुलकर बात करें, अपने बच्चों, सहेलियों, परिजनों के साथ-साथ घर के पुरुषों से भी बात करें, इस विषय पर तमाम फिल्में भी बनी, फिल्मों पर लोगों ने आपत्ति की लेकिन प्रत्येक बालिका, महिला को इस विषय की भली-भांति जानकारी हो कि यह प्रक्रिया नेचुरल है, मानवता को आगे ले जाने का पुण्य कार्य सिर्फ महिला ही कर सकती है लेकिन आश्चर्य का विषय है की पुरुष प्रधान समाज में आदमी इस विषय पर बात करने से कतराते रहे हैं लेकिन धीरे-धीरे समाज में परिवर्तन हो रहा है।

श्री सिंह ने उपस्थित महिलाओं से कहा कि सामाजिक परम्पराओं की बेड़ियां जिनका दवाब आप महसूस करती हैं, उनको निकाल फेंकिए, जब आप एक पुत्री के रूप में होती हैं तो आपकी सोच अलग रहती है, जब आप मां बनने वाली होती हैं, तो सोच बदल जाती है, जब आप सास बनती हैं तब फिर सोच बदल जाती है, यह आपका दोष नहीं, सामाजिक परम्पराओं का दबाव है, जिसको आप महसूस करती हैं और उन्हें तोड़ने का साहस आपके भीतर नहीं होता। उन्होंने कहा कि यह सच्चाई है कि आज भी कोख में बेटियां, जिन्हें मानवता को आगे बढ़ाने का वरदान प्राप्त है, कोख में ही समाप्त करने के प्रयास किए जाते हैं और वह कोख एक नारी की होती है यदि नारी पूरी शक्ति से उठ खड़ी हो तो इस कुःप्रथा को समाप्त किया जा सकता है।

मुख्य विकास अधिकारी नेहा बन्धु ने कहा कि मासिक धर्म के दौरान इंफेक्शन का खतरा काफी बढ़ जाता है, इस दौरान बरती गई असावधानी जानलेवा भी बन सकती है, पढ़ी-लिखी महिलाएं भी संकोच के कारण अपने परिवार वालों को मासिक धर्म के दौरान होने वाले बदलाव के बारे में बताने से संकोच करती हैं, जिस कारण इंफेक्शन बढ़ता जाता है और जब इसकी जानकारी परिजनों को होती है तब तक बहुत देर हो जाती है। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम को कराने का प्रशासन का मुख्य मकसद महिलाओं को इस दौरान होने वाले इन्फेक्शन के बारे में जागरूक करना है ताकि कोई भी महिला जानकारी के अभाव में इंफेक्शन का शिकार होकर अपनी जान न गवाये, प्रत्येक 05 महिलाओं में से एक महिला को यूटीआई होने की प्रबल संभावना रहती है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य से ऊपर कुछ नहीं इसलिए निःसंकोच होकर इस बारे में अपने परिजनों को बताएं, चिकित्सक से सलाह लें, शर्म छोड़ अपने स्वास्थ्य के प्रति संवेदनशील रहें, यूटीआई इंफेक्शन से भारत में ही नहीं बल्कि विश्व में प्रतिवर्ष तमाम महिलाओं की असमय मृत्यु हो जाती है और यह बीमारी निरंतर बढ़ रही है, जिसका मुख्य कारण सैनिटाइजेशन है यदि किसी महिला को यूरिनेशन में दिक्कत आ रही है तो तत्काल बताएं और उसका चिकित्सक से सलाह लेकर इलाज करायंे।

सदस्य महिला आयोग रेनू गौड ने उपस्थित महिलाओं को सम्बोधित करते हुये कहा कि केन्द्र-प्रदेश सरकार ने महिलाओं, बालिकाओं की शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा के दृष्टिगत तमाम योजनाएं संचालित की हैं, महिलाओं को आत्मनिर्भर, स्वावलम्बी बनाने के लिए गांव-गांव राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत समूह गठित कर महिलाओं को जोड़ा और उन्हें गांव में ही रोजगार के अवसर उपलब्ध कराये, पीड़ित महिलाओं को त्वरित न्याय दिलाने के लिए प्रत्येक थाने पर महिला हेल्प-डेस्क की स्थापना करायी। उन्होने कहा कि समस्त विद्यालयों, आंगनबाड़ी केन्द्रों के शौचालयों की साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देना होगा, शौचालयों में गदंगी के कारण बालिकाओं को तमाम प्रकार की इफेंक्शनल बीमारियांे का सामना करना पड़ता है, स्वच्छ भारत मिशन तब सफल होगा जब शौचालय साफ-सुथरे होंगे। उन्होने कहा कि बेटियों में पायी जाने वाली बीमारियों का मुख्य कारण गंदे शौचालय हैं। उन्होने कहा कि महिलाएं देश की आधी आबादी हैं, उनकी सोच यह नहीं होनी चाहिए कि मेरा कोई घर नहीं बल्कि महिलाएं अपने अंदर यह सोच पैदा करें कि उनके बिना कोई घर नहीं, हर घर बेटी से हैं, चाहे वह बेटी, बहू, वहन, भाभी, किसी के रूप में किरदार निभा रही हो, घर में खुशियां केवल और केवल बालिका से ही है।

कार्यक्रम को आगरा मंडल को-ऑर्डिनेटर यूनिसेफ विद्या वर्मा, चिकित्साधिकारी डा. ज्योति तोमर, आंगनबाडी कार्यक्रत्री जेबा आदि ने सम्बोधित किया, रिधिमा वर्ल्ड स्कूल, राशी ग्लोबल स्कूल, बालाजी ग्लोबल स्कूल की छात्राओं ने स्वागत गीत, मासिक धर्म, प्राथमिक विद्यालय बिछिया की छात्राओं ने बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ पर आधारित नौटंकी, नाटक, जागरूकता कार्यक्रम प्रस्तुत किये, शिखा ने डेमो के माध्यम से मासिक धर्म के दौरान बरती जाने वाली सावधानियों पर प्रकाश डाला, मीरा द्वारा बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ पर आधारित रंगोली तैयार की गयी।

इस दौरान जिला विकास अधिकारी अजय कुमार, परियोजना निदेशक डी.आर.डी.ए. सत्येन्द्र कुमार, उपायुक्त एन.आर.एल.एम. शौकत अली, उपायुक्त मनरेगा श्वेतांक पांडेय, किशोर न्याय बोर्ड सदस्य शिखा चतुर्वेदी, बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष मंजू चतुर्वेदी, जिला पंचायत राज अधिकारी अवधेश सिंह, जिला कार्यक्रम अधिकारी हरिओम बाजपेयी, जिला बेसिक शिक्षाधिकारी दीपिका गुप्ता, यूनिसेफ से संजीव पाण्डेय, एस.एम.ओ. डॉ. बी.पी. सिंह, जिला प्रोबेशन अधिकारी राजनाथ राम, खंड विकास अधिकारी शिव गोविंद, शिखा मिश्रा सहित अन्य संबंधित अधिकारी आदि उपस्थित रहे, कार्यक्रम का संचालन बाल संरक्षण अधिकारी अल्का मिश्रा ने किया।

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