राष्ट्रीय पत्रकार सुरक्षा परिषद के मंडल महासचिव तेज सिंह ने की मृतक पत्रकार मुकेश चंद्राकर के परिवार के लिए सरकार से 5 करोड रुपए की मांग

गोपाल चतुर्वेदी ब्यूरो चीफ मथुरा

 

मथुरा।बीजापुर छत्तीसगढ़ के पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या पर राष्ट्रीय पत्रकार सुरक्षा परिषद के मंडल महासचिव तेज सिंह ने शोक संवेदना व्यक्त करते हुए इस घटना की घोर निंदा की । मुकेश चंद्राकर को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा कि यह मुकेश चंद्राकर की हत्या नहीं है यह लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की हत्या है जिसे हम लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है वही खतरे से खाली नहीं है आए दिन पत्रकारों के साथ घटनाएं घटती रहती हैं लेकिन सरकार की तरफ से केवल आश्वासन के सिवाय कुछ नहीं मिलता है पत्रकार अपनी कलम के माध्यम से सच्चाई लिखता है तो उसकी हत्या कर दी जाती है मुकेश चंद्राकर की हत्यायारों को फांसी की सजा मिलनी चाहिए देश में लगातार पत्रकारों की मौत का सिलसिला जारी है यह कोई देश पहला मामला नहीं है कई पत्रकारों ने अपनी जान की कुर्बानियां दी है देश का चौथा स्तंभ सुरक्षित क्यों नहीं है पत्रकार सुरक्षा बिल क्यों नहीं लागू किया जाता है हर महीने एक के बाद एक पत्रकार घटना का शिकार हो जाता है उसे मौत के घाट उतार दिया जाता है और हम चुप बैठे तमाशा देखते रहते हैं और एक के बाद एक पत्रकार घटना का शिकार होता रहता है अभी हाल में 13 मई को आशुतोष श्रीवास्तव की जौनपुर में हत्या कर दी जाती है 31 अक्टूबर को फतेहपुर दिलीप सैनी की हत्या कर दी जाती है और 1 जनवरी को मुकेश चंद्राकर की हत्या कर दी जाती है हर तीसरे महीने एक पत्रकार की हत्या कर दी जाती है कब तक हम लोग अत्याचार सहते रहेंगे हम सड़कों पर उतरेंगे आंदोलन करेंगे और पत्रकार सुरक्षा बिल पास कराएंगे चाहे हमें कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़े हम सरकार से गुजारिश करते हैं कि मृतक पत्रकार मुकेश चंद्राकर के परिवार को 5 करोड रुपए की आर्थिक सहायता उपलब्ध कराए जिससे उनके परिवार का भरण पोषण हो सके।

राष्ट्रीय पत्रकार सुरक्षा परिषद के मंडल महासचिव तेज सिंह ने पत्रकारों की सुरक्षा के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकारों से कड़े कानून लागू करने की अपील करते हुए कहा देश मै जबतक सरकार पत्रकारों की सुरक्षा के मामले मै गंभीरता दिखानी चाहिए जब तक सरकार पत्रकारों की सुरक्षा के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाती तब तक पत्रकारों पर ऐसे हमले नहीं रुक सकते। इस लिए केंद्र और राज्य सरकारों को तत्काल पत्रकारों की सुरक्षा के लिए पुख्ता कानून बनाकर लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की रक्षा करनी होगी।

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