कथा का रसपान कराते कथा व्यास श्री ललित शास्त्री जी साथ में मंचासीन स्वामी विवेकानंद सरस्वती महाराज।

शालिनी कुलश्रेष्ठ जिला संवाददाता मैनपुरी

 

कथा का रसपान कराते कथा व्यास श्री ललित शास्त्री जी साथ में मंचासीन स्वामी विवेकानंद सरस्वती महाराज

 

सुदामा चरित्र की कथा सुन छलक पड़ी अंखियां

 

*ब्रहमनिष्ठ श्री स्वामी शारदानंद सरस्वती महाराज की द्वितीय पुण्य तिथि पर आयोजित ब्रह्म निर्वाण महोत्सव का सप्तम दिवस*

 

मैनपुरी। शहर के पंजाबी कालोनी स्थित श्री एकरसानंद आश्रम में परम पूज्य सदगुरुदेव श्री परमहंस अनन्त विभूषित श्रोतिय ब्रहमनिष्ठ श्री स्वामी शारदानंद सरस्वती महाराज की द्वितीय पुण्य तिथि ब्रह्म निर्वाण महोत्सव के रूप में महामंडेश्वर स्वामी श्री हरिहरानंद सरस्वती जी महाराज के सानिध्य में मनाई जा रही है।

ब्रह्म निर्वाण महोत्सव के सप्तम दिवस श्रीमद्भागवत कथा में सुदामा चरित्र की कथा का रसपान महाराज श्री के कृपापात्र कथा व्यास श्री ललित शास्त्री जी के द्वारा कराया गया।

परीक्षित बने सूर्यकांत त्रिपाठी ने श्रीमद् भागवत गीता व कथा व्यास का मंत्रोच्चारण के बीच पूजन किया।

कथा व्यास श्री ललित शास्त्री ने कथा का रसपान कराते हुए कहा कि दोस्ती करो तो कृष्ण सुदामा की तरह करनी चाहिए। दोस्त के साथ कभी विश्वासघात नहीं करना चाहिए दोस्त के साथ छल कपट करने वाले को दरिद्रता का जीवन भोगना पड़ता है।

उन्होंने कहा कि सुदामा अत्यधिक गरीबी से गुजर रहे थे, और परिवार का भरण-पोषण करने के लिए भी पर्याप्त धन नहीं था, उनकी पत्नी सुशीला ने उन्हें कृष्ण के साथ अपनी दोस्ती होने का स्मरण कराते हुए उन्हें द्वारकाधीश से मिलने द्वारिका भेजा, संकुचित सुदामा कृष्ण से मिलने गए तो द्वार पालों ने महल में जाने से रोक दिया तथा भगवान को सुदामा नामक ब्राह्मण के द्वार पर आने की सूचना दी। यह सुनकर कृष्ण दौड़ते हुए बाहर आए और सुदामा को गले से लगा लिया और एक दूसरे की आंखों से अश्रु धारा फूट पड़ी।

इसके उपरांत कृष्ण ने सुदामा का दर्द बिना बोले ही समझ कर उनकी सारी परेशानियां दूर कर दी।

इस मौके पर डा. ग्या प्रसाद दुबे, डा. संजीव मिश्रा वैद्य, प्राचार्य डॉ रामबदन पांडेय, संदीप चतुर्वेदी, सुभाष मिश्रा, श्याम जी दीक्षित, आचार्य कृष्ण दत्त मिश्रा, मीडिया प्रभारी आकाश तिवारी, कृष्ण दत्त मिश्रा, डॉ केशव मिश्रा, बृजेश शर्मा, श्रीमती राधा दुबे, श्रीमती कल्पना त्रिपाठी,श्रीमती आभा दीक्षित, श्रीमती स्तुती दीक्षित, राम खिलाड़ी यादव, ब्रह्मचारी दिनेश पाठक, विद्या सरन मिश्रा, सर्वांनंद चतुर्वेदी आदि मौजूद रहे।

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