अखिल भारतीय कवि सम्मेलन मे काव्य पाठ पढ़ कर प्रेमिओ का किया भरपूर मनोरंजन लोट पोट कर प्रेमिओ ने उठाया आंनद 

मोहित गुप्ता मंडल संवाददाता

 

हरदोई /जनपद मे नगर के कुर्सी रोड स्थित सीबीजी इंटर कालेज आफ साइंस के प्रांगण में आयोजित अखिल भारतीय कवि सम्मेलन में दूर दूर जनपदों से आये स्वनाम धन्य कवियों ने विभिन्न रसों में काव्य पाठ कर साहित्य प्रेमियों का भरपूर मनोरंजन तो किया ही साथ ही सामाजिक विसंगतियों पर करारा व्यंग्य दे कर सभी को सोचने पर बिवश कर दिया।

राजा कुंवर वीरेंद्र सिंह मल्हेरा ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की तथा बाराबंकी जनपद के राम नगर से आए विकाश बौखल ने कार्यक्रम का संचालन किया। कार्यक्रम की शुरुआत विद्यालय के प्रधानाचार्य गिरिजेश तिवारी ने दीप प्रज्ज्वलन के साथ सरस्वती बंदना से कराई। अवधी लोकगीत, मुक्तक, छंद के सिद्ध हस्ताक्षर जगजीवन मिश्र ने मइया, ललना समुझि दुलरावा करउ, हम बोलाई न बोलाई मुला आवा करउ। बाराबंकी की सरजमी से आए शिव कुमार ब्यास ने पत्रकारों का सम्मान करते हुए कहा कि बीर बलिदानियों की जुबानी लिखो, देश की दुर्दशा की कहानी लिखो, जब लिखो तब किसी पर मुर्व्वत नही, दूध को दूध पानी को पानी लिखो।

राजधानी लखनऊ से पधारे योगेश चौहान ने ओज की रचनाओं को गढ़ा “देश की धरा पे यदि खून गिरा तो निज, खिल के सुघर फूल गोला बन जायेगा। लखीमपुर से पधारे फारूक सरल ने अपनी रचनाओं में मानव मन की सम्मबेदनाओं को झकझोरा। वहीं कानपुर से पधारी महिला कवि अंकिता शुक्ला ने श्रंगार के गीतों से सभी का मनुहार कर बेतहासा तालियां बटोरी। हास्य और व्यंग्य की चुटीली रचनाओं के माध्यम से प्रयागराज से पधारे अखिलेश द्विवदी ने सभी को खूब गुदगुदाया। जगजीवन मिश्र ने “वह रह भी तो सके नहीं अपनी मियाद पर, अब तो बिचार होगा सिंधु के नीनाद पर, वो चाँद को झंडे में ही निहारते रहे, भारत के मेरे आज है झंडा भी चाँद पर। देर रात तक भव्य भागवत कथा पंडाल में हुए कवि सम्मेलन में बगैर थके गूंजते रहीं वाह वाह और तालियों की आवाज़ें। आयोजन समिति की ओर से प्रधानाचार्य गिरिजेश तिवारी ने सभी गणमान्य लोगों के प्रति अपना आभार व्यक्त कर कार्यक्रम का समापन कराया। इस दौरान नगर के सैकड़ो गणमान्य जन मौजूद रहे

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