प्राचीन श्री माता मंदिर नाहिली मार्ग से माता दुर्गा की विशाल विसर्जन यात्रा निकाली गई।

पुष्पराज चौहान, क्राइम रिपोर्टर बरनाहल मैनपुरी

(मैनपुरी)। कस्बा घिरोर में श्री नवदुर्गा महोत्सव बड़ी धूम धाम से मनाया गया। इसी के तहत श्री माता जागरण मंडल समिति नगर घिरोर में पंडित जयदेव द्वारा प्राचीन माता रानी मंदिर पर विशेष पूजा अर्चना विधि विधान से की गई। जिसमें काफी संख्या में श्रद्धालुओ ने हिस्सा लिया। जिसमें पंडित जयदेव ने कहा कि नवरात्रों में माता की चौकी लगाने का विशेष महत्व है। हम सभी को अपने घरों में माता रानी की चौकी लगानी चाहिए। माता रानी सबकी मनोकामना पूरी करती है। हमें इस पर्व को हर्षोल्लास के साथ मानना चाहिए जिससे हमारा देश तरककी करे। देश में शांति बनी रहे। इसके साथ साथ उन्होंने बताया कि माता रानी का पर्व हम क्यों मनाते है। पौराणिक मान्यता है कि हम सदियों से नवरात्रों का त्योहार मनाते आ रहे है। व्रत रखते आ रहे। देश के अलग अलग हिस्सों में अलग अलग तरीकों से नवरात्रों का त्यौहार बड़ी धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। कही कुछ लोग पूरी रात गरवा, आरती करके नवरात्रों के त्योहार को मानते है। तो कुछ लोग उपवास करके माता दुर्गा के नौ दिन में , प्रथम शैलपुत्री द्वितीय ब्रह्मचारिणी तृतीय चंद्रघंटा चौथी कुष्मांडा पांचवी स्कंदमाता छठी कात्यानी सातवीं कालरात्रि आठवी महागौरी 9वीं से सिद्ध धात्रीके रूपों की पूजा करते है। इसके पीछे असल कहानी को जानते है। महिषासुर नाम का एक बड़ा शक्तिशाली राक्षस था। वो अमर होना चाहता था। इस लिए उसने ब्रम्हा जी की कठोर तपस्या की। उसकी तपस्या से खुश होकर ब्रह्मा जी ने दर्शन देकर कहा की वह जो भी वर चाहता है । मांग सकता है। महिषासुर ने अपने लिए अमर होने का वरदान मांगा। उसकी बाते सुनकर ब्रम्हा जी ने कहा की जो भी इस संसार में पैदा हुआ है। उसकी मृत्यु निश्चित है।इसलिए जीवन और मृत्यु को छोड़कर तुम जो चाहो मांग सकते हो। ठीक है प्रभु तो आप मुझे ऐसा वरदान दीजिए की मेरी मृत्यु न तो देवता, न असुर के हाथो हो और ना ही मानव के हाथो और अगर हो तो किसी स्त्री के हाथो हो। महिसासुर की बाते सुनकर ब्रम्हा जी ने तथास्तु कहा और चले गए। इसके बाद तो महिषासुर राक्षसो का राजा बन गया। और उसने देवताओं पर आक्रमण शुरू कर दिए। इससे देवता बहुत परेशान हो गए। और सब देवता मिलकर ब्रह्मा, महेश, विष्णु के पास गए।। लेकिन महिषासुर को ब्रह्मा जी का वरदान मिला हुआ था।। उसकी मृत्यु , हार किसी नर के हाथो नही हो सकती थी। इसलिए वो भी कुछ नहीं कर पाए। महिषासुर से रक्षा करने के लिए सभी देवताओं ने विष्णु के साथ साथ मां आदि देवी की आराधना की। जिससे उनके शरीर से एक देवीय रोशनी निकली जिसे एक बहुत खूबसूरत अप्सरा के रूप में मां दुर्गा का रूप धारण किया। इनका रूप देखकर महिषासुर उन पर मोहित हो गया।उनके बार बार माना करने पर महिषासुर नही माना। तो माता ने उसके सामने एक शर्त रखी कि उसे युद्ध में जीतना होगा। तभी शादी के लिए तैयार होगी। वह मान गया। फिर दोनो में लड़ाई शुरू हो गई। जो युद्ध नौ दिन तक चला। दसमें दिन देवी माता ने महिषासुर का अंत कर दिया। तभी से यह पर्व नौ दिन नवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। उसके बाद सहस्त्रोनुसार माता रानी की विदा कर दी जाती है। इसके बाद कमेटी द्वारा से श्री नवदुर्गा की भव्य विसर्जन यात्रा निकाली गई। जिसमें बच्चे, महिला, पुरुष, बैंड की धुन पर नाचते गाते जा रहे थे। लोगो ने जगह जगह पर फूलो की वर्षा की। काफी आनंदमय माहौल था। जो कस्बा घिरोर के मुख्य मार्ग निहाल चौक, चमेली मंदिर, अग्रवाल चौक, डालगंज, पुराना बस स्टैंड, करहल चौक, गोलचक्कर से होते हुए नहर कोठी पर आकर समाप्त हुई। उसके बाद प्रसाद वितरण किया गया। इस मौके पर कमेटी के सदस्य, श्रद्धालु, और संभारत नागरिक मौजूद रहे। इस मौके पर चेयरमैन यतेंद्र जैन, जिला पंचायत अध्यक्ष गोविंद भदौरिया, अरुण चौहान, सुधीर अग्रवाल, दीपक जैन , पूर्व प्रधान उभराज सिंह, चंद्रपाल तोमर, पंकज तोमर और थाना प्रभारी छत्र पाल सिंह, का o भानू प्रताप सिंह, का o सुनील,है o. का o विजय परमार और समस्त पुलिस स्टाफ मौजूद रहा।

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