रावण दहन से पहले शाहजहांपुर में रावण की होती है पूजा अर्चना 

अभिषेक चौहान ब्यूरो शाहजहांपुर 

 

शाहजहांपुर।अभी तक आपने रावण के पुतले को दहन करते देखा होगा लेकिन शाहजहांपुर में रावण दहन से पहले तमाम लोग रावण के पैरों पर प्रसाद चढ़ाने के साथ दान दक्षिणा भी चढ़ाते हैं। महिलाएं और पुरूष तो आशिर्वाद लेते हैं साथ ही परिवार अपने बच्चों को पुतले के पास लाते हैं। फिर बच्चे रावण के पैर छूकर उसका आशीर्वाद लेते हैं। आचार्य प्रदीप मिश्र ने बताया कि रावण परमज्ञानी और परम विद्वान था। उसके पास ज्ञान बहुत ज्यादा था। लेकिन उसके अंदर एक कमी थी कि उसको अंहकार बहुत ज्यादा था। उसने कई संकल्प लिए थे लेकिन उसको अंहकार के कारण पूरा नही कर पाया। परमज्ञानी होने के कारण लोग रावण के पैर छूकर आशिर्वाद लेते हैं।

 

शाहजहांपुर में खिरनीबाग रामलीला मैदान में रावण दहन किया जाता है। यहां एक विशाल रावन का पुतला बनाया जाता है। फिर तय समय पर उसका दहन किया जाता है। शनिवार की रात दस बजे खिरनीबाग रामलीला मैदान में रावण दहन होगा। लेकिन रावण दहन से पहले कुछ अलग तस्वीरे देखने को मिलती हैं। रावण दहन से कुछ घंटे पहले तमाम लोग परिवार के साथ रावण के पुतले के पास जाते हैं। वह प्रसाद के साथ दान दक्षिणा भी रावण के पुतले पैरों पर चढ़ाते हैं। उसके बाद रावण के पैर छूकर आशिर्वाद भी लेते हैं। खास बात ये है कि लोग अपने बच्चों को पुतले पास लाते हैं। फिर बच्चे भी रावण के पैर छूकर उनका आशिर्वाद लेते हैं। इतना ही नही जो बच्चे चल नही पाते हैं। मां बाप उन बच्चों को रावण के पैरों के पास खड़े करते हैं और फिर रावण आशिर्वाद दिलाते हैं। इसके पीछे का कारण ये बताया कि रावण एक परमज्ञानी के साथ साथ परम विद्वान भी था। उसके अंदर एक कमी थी कि उसको अहंकार बहुत ज्यादा था। इसलिए उसने संकल्प तो कई लिए थे लेकिन आज नही तो कल संकल्प को पूरा कर देंगे। ये उसके अंदर अहंकार था। इसलिए कई संकल्प वो पूरा नही कर पाया। परमज्ञानी होने के कारण लोग रावण के पैर छूकर आशिर्वाद लेते हैं।

 

आचार्य प्रदीप मिश्र ने बताया कि रावण परम ज्ञानी था। तब राम ने लक्ष्मण से कहा था कि रावण से ज्ञान लेकर आओ। जब लक्ष्मण ज्ञान लेने रावण के पास गए तो सिर के पास खड़े हो गए थे। तब रावण लक्ष्मण से कुछ बोला नही। उसके बाद लक्ष्मण फिर से भगवान राम के पास गए और उन्होंने कहा कि रावण कुछ बोल नही रहा है। तब राम ने कहा कि रावण के पैर छूकर नमन करना और फिर उनसे ज्ञान लेना। आचार्य ने बताया कि लक्ष्मण फिर से रावण के पास गए थे। तब रावण ने लक्ष्मण से आने का कारण पूछा था। रावण ने ज्ञान देते हुए कहा था कि दान की वस्तु बाएं हाथ में है तो तत्काल उसी हाथ से दान कर दो। दूसरे हाथ में दान की वस्तु लाने की कोशिश न करना। क्योंकि हो सकता है कि दूसरे हाथ में लाने के दौरान विचार बदल जाए। रावण ने कहा था कि हमने अपने जीवन में कई संकल्प लिए थे। लेकिन उसको पूरा नही कर पाए। आचार्य के मुताबिक रावण ने कहा था कि सभी लोग स्वर्ग जाने के लिए बहुत तपस्या करते हैं। हमने सोचा था कि स्वर्ग जाने के लिए एक ऐसी सीढी बना देंगे। जिससे किसी को कोई परेशानी नही होगी। लेकिन मैं सिर्फ सोचता रहे गया। मुझे अहंकार था कि जब चाहे ये सब ज्ञान हम बांट देंगे। आचार्य ने बताया कि रावण बहुत परमज्ञानी के साथ बहुत विद्वान था। उसके अंदर अहंकार बहुत था। बस यही उसके अंदर कमी थी। रावण ने सीता का हरण जरूर किया था। लेकिन कभी उसने स्पर्ष नही किया। उसके अंदर बहुत धैर्य था। इन्ही विशेषताओं के कारण लोग आज उसका आशिर्वाद लेते हैं।

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