श्री रामलीला सभा के तत्वावधान में विभीषण शरणागति, अंगद रावण संवाद एवं लक्ष्मण शक्ति की लीला का मंचन दिन में रामलीला मैदान और रात्रि में चित्रकूट लीला मंच पर किया गया

रिपोर्ट यज्ञदत्त चतुर्वेदी मथुरा

*हृदयॅं लाइ प्रभु भेंटेउ भ्राता, हरषे सकल भालु कपि भ्राता।*

*हरषि राम भेटेंउ हनुमाना, अति कृतज्ञ प्रभु परम सुजाना ।।*

 

 

श्री रामलीला सभा के तत्वावधान में विभीषण शरणागति, अंगद रावण संवाद एवं लक्ष्मण शक्ति की लीला का मंचन दिन में रामलीला मैदान और रात्रि में चित्रकूट लीला मंच पर किया गया ।

श्रीराम अपनी सेना के साथ समुद्र के किनारे डेरा डाल देते हैं । रावण के दूतों ने लंकापति को इसकी सूचना दी । विभीषण रावण की सभा में पहुंच कर भाई रावण को श्रीराम से बैर न लेने की सलाह देते हैं तथा राम की प्रशंसा करते हैं । रावण क्रोध में आकर विभीषण को लात मार कर बाहर कर देता है । विभीषण राम की शरण में पहुंचता है । सुग्रीव द्वारा शंका जाहिर करने पर कि कहीं वह भेद लेने तो नहीं आया है, लेकिन राम कहते हैं कि भेद लेने आये हों तो भी हमें कोई हानि नहीं है । विभीषण रामजी के समक्ष शराणागत हो जाते हैं प्रभु राम उन्हें हृदय से लगाकर पास में बैठाते हैं एवं समुद्र के जल से विभीषण का राज्याभिषेक करते है ।

समुद्र से मार्ग माॅगने के लिए राम विनय पूर्वक समुद्र किनारे बैठ जाते हैं ।

उधर रावण द्वारा भेजे गये दो गुप्तचर सुक व सारन का भेद खुल जाता है लक्ष्मण उनको क्षमा करते हैं । रावण के लिए एक पत्रिका देते हैं व कहते हैं कि अगर जानकी जी को नहीं लौटाया तो रावण का काल निकट है ।

तीन दिन व्यतीत हो जाने पर भी समुद्र मार्ग नहीं देता है तो राम क्रोधित होकर समुद्र को सोखने के लिए अग्नि-वाण धनुष पर चढ़ाते हैं तभी समुद्र प्रकट होकर प्रभु से क्षमा याचना करता है एवं पार उतरने का उपाय बताता है । वहाॅं पर राम, रामेश्वर की स्थापना करते हैं ।

जामवंत की सलाह पर प्रभु राम बाली पुत्र अंगद को दूत बना कर लंका भेजते हैं । रावण व अंगद का संवाद होता है ।

राम की सेना लंका पर चढ़ाई कर देती है । रावण पुत्र मेघनाद से वानर सेना घबरा जाती है । हनुमानजी मेघनाद को मूर्छित कर वानर सेना की रक्षा करते हैं । पुनः मेघनाद युद्ध के लिए जाता है । हनुमानजी व मेघनाद का युद्ध होता है मेघनाद मायावी शक्तियों का प्रयोग करता है । राम बाण द्वारा मेघनाद की माया को काट देते हैं ।

श्री राम से आज्ञा पाकर लक्ष्मण मेघनाद से घोर युद्ध करते हैं । मेघनाद यमपाश शक्ति का प्रयोग करता है जिससे लक्ष्मण मूर्छित हो जाते हैं । सुषेन वैद्य द्वारा बतायी गयी संजीवनी बूटी लेने हनुमानजी जाते हैं । लौटने में नन्दीग्राम में भरत से मिलते हैं । भरत को समाचार सुनाते हैं । लौट कर लक्ष्मण के उपचार के बाद मूर्छा खुलने पर रामादल में प्रसन्नता की लहर दौड़ पड़ती है ।

प्रसाद सेवा – बाबा यादवेन्द्र महाराज चैरिटेबिल ट्रस्ट वृन्दावन द्वारा की गई ।

11 अक्टूबर को कुम्भकरण वध, मेघनाद वध व सुलोचना सती की लीला सायं 4 से 6 बजे रामलीला मैदान में तथा सायं 7 बजे पुनः चित्रकूट लीला मंच मसानी पर होगी ।

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