पारसनाथ मंदिर में दसलक्षण पर्व के दूसरे दिन आर्जव धर्म का अनुसरण किया गया

करतार सिंह पौनिया मण्डल प्रभारी आगरा 

 

*टूण्डला* – पारसनाथ मंदिर में दसलक्षण पर्व के दूसरे दिन आर्जव धर्म का अनुसरण किया गया बसु – विज्ञा- समिति, प.पू.उपाध्याय श्री विद्यासागर महाराज मुनि श्री पुण्यानंद मुनि श्री धैर्यानंद जी का चातुर्मास बड़े उत्साह से चल रहा है सुबह प्रवचन देते हुए उपाध्याय श्री ने कहा कि शौभाग्य मानिए 4 गति 84 लाख योनियों मैं भ्रमण करके आप को मनुष्य कर्म मिलता है आज हमारे पास बहुत कुछ है पर हम उसका सदुपयोग न करें तो वो चीजे भी जीवन से जब समाप्त हों जाती है तब हमें लगता है हम धर्म के मार्ग पर हम अपनी इन वस्तुओं का उपयोग धर्म के लिए नहि किया अपने आत्मा के कल्याण के लिए मेने कुछ नही किया, जो भगवान और गुरुओं के सामने अपने आप को समझदार कहता है वो मझधार मैं है, ओर जो गुरुओं के सामने अपने को कहते हैं कि हम हुशियार नहि है हम अपनी आत्मा का कैसे कल्याण करें गुरुवर हम नहि जाते तब आपका कल्याण निश्चित होगा क्यूंकि आपके जीवन में गुरु से सीखने की इच्छा है अहंकार नहि है ज्ञान का आपको जीवन में, आपको गुरू से सच मैं शिष्य बनकर कुछ प्राप्त करना है, बात भावो की भूमि को पवित्र बनाने की है, पुरुषार्थ का सद कर्म और उत्तम क्षमा अमृत है जो आपको अजर अमर बनाने वाला है , भगवान पारसनाथ ने जीवन मैं क्षमा वान बनना सिखाया है, क्षमावान बनोगे तो अपने आप बड़े बन जाओगे क्योंकि क्रोध की तीव्र अग्नि को सिर्फ क्षमावान व्यक्ती ही शांत करता है फलदार पेड़ हमेशा झुका रहता है सबको छाया देता है, जहां चट्टाने बड़ी बड़ी होती है वहां वृक्ष उत्पन्न हो जाते हैं, हम अपने आत्म कल्याण के लिए धर्म रुपी वृक्ष की छाया मैं नहि रहना चाहते हैं, जिसके भाव सरल है सहज है वो धर्म का अनुसरण करता रहेगा, आपको अंतर्मन को हमेशा निर्मल बनाने का कार्य करो, दूसरो के काम मैं कभी अडंगा मत बनो दूसरो के दुख में सहयोगी बनो किसी के दुख का कारण मत बनो, प्रशंसा एक ऐसा मीठा जहर है जिसको खाकर आदमी अन्दर से मर रहा है अगर आपकी कोई निंदा कर रहा है तो यह समझो कि यह आपके पाप कर्म को क्षय करने का काम कर रहा है, मोह के कारण हमें शत्रु मित्र लगते हैं और मित्र शत्रु लगते हैं, कपट किसी को नहि करना चाहिए, जो सरल स्वभावी होते हैं। उनके पास सामायक की संपता शांति की संपदा, धर्म की संपदा होती है, अहंकारी व्यक्ति कभी अपने आप को दोषी नहीं ठहराता है, जब पाप कर्म के उदय आटे है तो सब व्यक्ति के आंखो के सामने आने लगते हैं, उत्तम आर्जब एक नीति है रीति है, जेसे हो वैसे दिखो, धर्म के क्षेत्र मै कभी मायाचारी मत करों, क्योंकि जो धर्म के क्षेत्र मै मायाचारी करता है। एक छोटा सा छल आपको गर्त मै गिरा देता है, कर्म सिद्धांत पढ़ने के बाद आप पाप कर्म से डरोगे। इस मौके पर चातुर्मास कमेटी अध्यक्ष बसन्त जैन, कमलेश जैन कोल्ड, अनिल जैन राजू, महेश जैन,गोपाल जैन, आशु जैन, अंकित जैन , क्षेत्रीय उपाध्यक्ष भाजपा अल्प संख्यक मोर्चा सचिन जैन, सुमित जैन निखिल जैन सतेंद्र जैन समस्त जैन समाज मौजूद रहा ।

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