मथुरा में परीक्षा गैंग का मास्टरमाइंड अंकित पांडेय व उसका साथी गिरफ्तार, 4 फरार

गोपाल चतुर्वेदी ब्यूरो चीफ मथुरा

 

मथुरा। एसटीएफ आगरा व मथुरा के थाना हाईवे पुलिस टीम ने रविवार को परीक्षा गैंग का भंडाफोड़ किया। मास्टरमाइंड सहित उसके एक साथी को गिरफ्तार किया। इनके पास से भारी संख्या में पुलिस भर्ती परीक्षा के अभ्यर्थियों के प्रवेश पत्र, 46 मार्कशीट, कांस्टेबल का एक फर्जी आईडी बरामद हुआ है।

मास्टरमाइंड अंकित पांडेय प्रयागराज का रहने वाला है। वह दिल्ली में सिविल सर्विसेज परीक्षा की तैयारी करता था। उसमें असफल होने पर अपराध का रास्ता चुना। वहीं, उसका दूसरा साथी मथुरा का रहने वाला भूपेंद्र है। वह आरपीएफ के सहायक कमांडेंट, मथुरा की गाड़ी चलाता था। पुलिस में भी बैठक नजदीकियां रखता है।

एसएसपी शैलेश कुमार पांडेय ने बताया कि आगरा एसटीएफ के इंस्पेक्टर यतेंद्र शर्मा व उनकी टीम और थाना हाईवे की टीम परीक्षा गैंग पर काम कर रही थी। मुखबिर से सूचना के आधार पर मास्टर माइंड अंकित निवासी सलेमपुर केहरा, हनुमानगंज, उत्तराव, प्रयागराज हाल निवासी राधा एनक्लेव कॉलोनी, नेक्शा वाली गली, महोली हाईवे और भूपेंद्र सिंह निवासी सलेमपुर महोली, हाईवे को ट्रांसपोर्ट नगर से गिरफ्तार किया गया।

इनके पास से तीन फर्जी आधार कार्ड, एक ड्राइविंग लाइसेंस, एक उप्र पुलिस का आई कार्ड, जो भूपेंद्र के नाम पर है, जिसमें वह खुद को फिरोजाबाद पुलिस लाइन में तैनात कांस्टेबल बताता है। वहीं, 46 अंक तालिका व एडमिट कार्ड एवं जिला सूचना पर्ची, तीन फोन, एक हाथरस नंबर की कार बरामद हुई हैं। दोनों को जेल भेज दिया है। पूछताछ में इनके चार साथी रिषभ निवासी महोली, हाईवे, मथुरा और भरतपुर के कामा के विश्वेंद्र उर्फ विष्णु गुर्जर, कौशांबी के ग्राम इमलिया के सुरेंद्र प्रताप सिंह, गाजियाबाद के साजिद अली उर्फ बॉबी चौधरी का नाम प्रकाश में आया है। इनकी तलाश की जा रही है। यह सभी मुकदमे में वांटेड किए गए हैं।

इंस्पेक्टर आगरा एसटीएफ यतेंद्र शर्मा ने बताया कि अंकित पांडेय, जो कि प्रयागराज का रहने वाला है। वह इस गैंग का मास्टरमाइंड है। वह 2014-15 में दिल्ली में सिविल सर्विसेज की तैयारी करता था। असफल होने पर उसने 2016 में भर्ती गैंग, सॉल्वर गैंग संचालित करना शुरू कर दिया। प्रयागराज में इसके खिलाफ तीन मुकदमे हैं। वहीं, कानपुर में एक मुकदमे में नाम आया था। पूछताछ में उसने बताया कि दिल्ली में तैयारी के दौरान एक युवती से मुलाकात हुई, जिससे शादी कर ली। वह मथुरा की रहने वाली है। प्रयागराज पुलिस जब पीछे पड़ गई तो वह तीन वर्ष पहले मथुरा आ गया था। यहीं से गैंग संचालित कर रहा है।

भूपेंद्र को लेकर एसटीएफ इंस्पेक्टर यतेंद्र शर्मा ने बताया कि वह आरपीएफ के एक सहायक कमांडेंट, मथुरा की डेढ़ वर्ष गाड़ी चला चुका है। वहां से उसने पुलिसिया कामकाज सीखा। इसके बाद उसने जिला पुलिस में भी घुसपैठ की। अपनी फेसबुक आईडी पर उसने खुद को क्राइम ब्रांच/एसओजी में दर्शा रखा है। उसके पास से एक फर्जी पुलिस आरक्षी का आई कार्ड मिला है, जिसमें खुद को फिरोजाबाद पुलिस लाइन में तैनात कांस्टेबल दर्शा रखा है। गाड़ी पर रक्षा मंत्रालय लिखकर घूमता है। ताकि आसानी से लोग इसके झांसे में आ सकें। भरतपुर के कामा के विश्वेंद्र उर्फ विश्शू गुर्जर का भाई इसके साथ कोचिंग कर चुका है। इसके चलते वह विश्वेंद्र के संपर्क में आया और उसे अंकित पांडेय से मिलाया। भूपेंद्र इस गैंग का संरक्षण दाता भी है। हाल में संपन्न हुई यूपी पुलिस आरक्षी भर्ती परीक्षा में मथुरा के 9 अभ्यर्थियों से इसने सॉल्वर उपलब्ध कराने के नाम पर एक-एक लाख रुपये लिए थे। मगर, पुलिस की सख्ती के कारण उनको बैठा नहीं पाया।

पुलिस व रेलवे की सॉल्वर उपलब्ध कराने और मेरिट आधारित भर्ती में उच्च अंकों की तालिका दिलवाने ठेका

इंस्पेक्टर हाईवे थाना आनंद कुमार शाही ने बताया कि भूपेंद्र और अंकित से पूछताछ हुई। दोनों ने स्वीकार किया कि पुलिस व रेलवे की परीक्षा में सॉल्वर उपलब्ध कराने और पोस्ट ऑफिस व अन्य विभाग, जिनमें मेरिट आधारित भर्ती निकलती हैं, उनमें अभ्यर्थियों को उच्च अंकों की तालिका दिलवाने ठेका यह गैंग छह से दस लाख रुपये में लेता है। सॉल्वर के तौर पर बिहार के युवाओं को यह बुलाते हैं। वहीं, फर्जी अंक तालिका बनाने का काम इसी गैंग का सदस्य कौशांबी के ग्राम इमलिया के सुरेंद्र प्रताप सिंह करता है। यह बकायदा अभ्यर्थियों को डाक के जरिये उनके घर अंक तालिका पहुंचाते हैं।

साजिद, विश्वेंद्र और रिषभ निभाते हैं एजेंट की भूमिका

साजिद, विश्वेंद्र और रिषभ को लेकर एसटीएफ ने बताया कि यह एजेंट की भूमिका निभाते हैं। इनका काम अभ्यर्थियों को तलाशना और उनसे करीब 10 लाख रुपये में सौदा करना है। सौदे के बाद छह लाख रुपये यह अंकित को उपलब्ध कराते हैं। अंकित पांडेय आगे का काम करता है। विश्वेंद्र राजस्थान के अभ्यर्थी अंकित पांडेय तक पहुंचाता है। वहीं, रिषभ मथुरा व आसपास के जिलों के, साजिद अली गाजियाबाद व उसके आसपास के जिलों के अभ्यर्थियों को जुटाता है।

शातिर दिमार भूपेंद्र अपनी पत्नी के बैंक अकाउंट का पैसों के लेनदेन के लिए इस्तेमाल करता है, ताकि उस पर किसी को शक न हो। वहीं, अंकित पांडेय ने अपनी पत्नी के बैंक खाते पर लोन ले रखा है। अंकित पांडेय के संबंध में पुलिस को यह भी पता लगा है कि उसका अपनी ससुराल की संपत्ति पर दांव है। 2017-18 में अंकित पांडेय जेल भी गया था।

अंकित और भूपेंद्र के पास से कुछ अंकतालिका बिहार बोर्ड की भी प्राप्त हुई हैं, जो कि जांच में फर्जी पाई गई हैं। इससे पुलिस अंदेशा जता रही है कि यह गैंग बिहार के सॉल्वरों के अलावा वहां के अभ्यर्थियों व कोचिंग सेंटर संचालकों में भी अपनी गहरी पकड़ रखता है, जिनके जरिये इसे अभ्यर्थी प्राप्त होते हैं।

यूपी पुलिस भर्ती परीक्षा में नहीं बैठा पाए सॉल्वर

अंकित पांडेय और भूपेंद्र ने पुलिस पूछताछ में स्वीकार किया कि उन्होंने यूपी पुलिस आरक्षी भर्ती परीक्षा में 100 से अभ्यर्थियों से पैसे ले रखे थे। सौदा था कि वह उनके स्थान पर सॉल्वर बैठाएंगे। मगर, शासन की सख्ती के कारण यह काम नहीं हो पाया। इनके पास से एटा, मथुरा, कासगंज, हाथरस, अलीगढ़, कानपुर, इटावा, मैनपुरी, आगरा आदि जिलों में बनाए गए परीक्षा केंद्रों पर अनुक्रमांक के आधार पर अभ्यर्थियों के प्रवेश पत्र प्राप्त हुए हैं। पुलिस इन सभी अभ्यर्थियों से संपर्क करने में जुट गई है। इन सभी को जांच के दायरे में लाया जाएगा।

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