गांजे का सामान बिक रहा खुलेआम बाजार में, नहीं लिखता कोई पत्रकार

विनोद चौधरी ब्यूरो क्राइम आगरा 

 

आगरा— आज फिर सच दिखा रहे हैं। हम जनता के बीच रख रहे हैं सच ,वैसे तो सच लिखने वालों के दुश्मन हजार होते हैं। तो एक सच यह भी पढ़ लो सभी ।यमुना पार क्षेत्र की बात करें तो दुकानों पर खुलेआम गांजा पीने वाला समान बिकता है जो पेपर और पायलट के नाम से जाना जाता है। गांजे का नशा करने वाले लोग ऐसे पेपर और पायलट के नाम से सभी जानते हैं । गांजे का नशा इसी पेपर में भरकर लोग इसका नशा करते हैं ,धुएं के छल्ले उड़ाते हैं, खुलेआम बैठकर अगर सड़क किनारे कहीं भी किसी होटल ढाबे दुकान पर अगर लोग शराब का नाश कर रहे हो पैक लगा रहे हो तो वह भी गैरकानूनी माना जाता है। और पुलिस भी सड़क किनारे नशा करने वालों पर शक्ति से पेश आती है ।लेकिन जो गांजे का नशा खुलेआम कोई कर रहा हो तो पुलिस भी नशा करने वाले व्यक्ति से यह नहीं पूछती, कि आखिर यह गाजां कहां से लाया है। जबकि वह खुद भी गांजे का नशा करता है, औरों को भी करता है। इतना ही नहीं अगर इनका कोई विरोध करें तो यह एक पुड़िया में ही किसी को भी करने या मरवाने की धमकी तक दे डालते हैं। लेकिन बड़े-बड़े धुरंधर लिखने वालों ने नहीं लिखा नहीं किसी पत्रकार ने लिखा, इस पर कोई लेख, और वह अपने आप को बहुत ही अच्छा पत्रकार समझते हैं। अगर सच लिखना है तो इस पर भी क्यों नहीं लिखा आज तक ,अब तो उच्च अधिकारी ही खुद जांच कर बता पायेंगे ।कि जब बाजार में खुलेआम गाजें का नाश करने वाला सामान दुकानों पर बिक रहा है। तो फिर आप अंदाजा लगा सकते हैं की क्षेत्र एवं शहर में कहीं ना कहीं तो गाजां बिक रहा होगा कोई तो बेच रहा होगा जब नशा करने वाले लोग वहां से लाकर नशा कर रहे हैं। लेकिन सच सुनने में सच लिखने में सच बोलने में लोगों को तकलीफ होती है। और बड़ी-बड़ी बात करते हैं, अपने आप को बड़ा पत्रकार कहते हैं अच्छा पत्रकार कहते हैं। कैसे पत्रकार हो जो एक सच्चाई नहीं लिख रहे हो बस चंद कुछ थाने और चौकी में बैठकर या पुलिस की जी हजूरी या पुलिस से मेलजोल रख कर अपना काम निकालने में माहिर होते हैं कुछ तिरछी नजर के साथ बै खौफ सच लिख रहा हूं। यह आवाज आज तक क्यों नहीं उठी यह आवाज आज तक क्यों नहीं उठाई किसी ने कौन नहीं जानता इसको लेकिन कोई सच लिखना नहीं चाहता। उसके लिए तो कोई कैमरे की जरूरत भी नहीं पड़ेगी किसी भी दुकान से सामान मिल सकता है नशे का एक नजर उच्च अधिकारियों की हो तो, उच्च अधिकारी चाहे तो सब कुछ हो सकता है ।बाजार में समान नशे का बिकने वाला भी और गांजा भी हो गांजा पीने वालो से पूछताछ की जा सकती है जहां भी गाजें का नशा करने वाला दिख जाए तो पुलिस ठीक उसी तरह शक्ति से पूछ सकती है जिस तरह सडक़ किनारे कोई शराब पीता हुआ दिख जाता है और पुलिस शक्ति से पेश आती है ठीक उसी तरह अब देखना होगा कौन लिखेगा इसको क्या उच्च अधिकारी इस पर कोई कार्रवाई या नजर बनाएंगे या फिर सब कुछ ऐसे ही हवा हवाई हो जाएगा या उच्च अधिकारी अपने-अपने थाना क्षेत्र की पुलिस एवं चौकी पुलिस से पूछेंगे की किसके क्षेत्र में क्या हो रहा है।

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