रेवाड़ी के निकटवर्ति घासेड़ा गांव में उल्का पिंड गिरने का संशय

राजेश भारद्वाज स्टेट हेड हरियाणा

 

घासेड़ा गांव की महिला ने आसमान से गिरते देखा आग का गोला

रेवाड़ी जिले के घासेड़ा गांव में एक पत्थर जैसा वस्तु आसमान से गिरने की घटना सामने आई है। एक महिला ने इसे गिरते हुए देखा और बताया कि उसने आसमान से आग का गोला गिरते देखा। जब वह इसके पास गई तो उसे एक पत्थर जैसा दिखा। माना जा रहा है कि यह उल्का पिंड हो सकता है। हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि यह वास्तव में उल्का पिंड है या कुछ और। इस बारे में वैज्ञानिकों की जांच के बाद ही सटीक जानकारी मिल सकेगी। फिलहाल यह पत्थर जैसी वस्तु महिला के पास सुरक्षित है।

 

घासेरा गाँव में एक उल्का पिंड की निशानियाँ मिली हैं, जो कि 1000 साल पुरानी हो सकती हैं।

उल्का पिंड की उम्र 4.5 अरब साल होती है। विज्ञानिको का अनुमान है, कि उल्का पिंड की उम्र 4.5 अरब साल हो सकती है।

 

*उल्का पिंड धरती पर कई तरीकों से आ सकता है*

 

1) गुरुत्वाकर्षण खिंचाव: उल्का पिंड का आकर्षण धरती के गुरुत्वाकर्षण खिंचाव से होता है, जो इसे धरती की ओर खींचता है।

 

2) वायुमंडलीय प्रवेश: जब उल्का पिंड वायुमंडल में प्रवेश करता है, तो यह गर्म होता है और चमकता है, जिसे हम उल्का या शूटिंग स्टार कहते हैं।

 

3) उल्का पिंड का टुकड़ा: जब कोई उल्का पिंड टूटता है, तो इसके टुकड़े धरती पर गिरते हैं।

 

4) उल्का पिंड की बर्फ़ पिघलना: जब उल्का पिंड की बर्फ़ पिघलती है, तो यह धरती पर पानी के रूप में गिरता है।

 

5) उल्का पिंड का धरती से टकराव: जब उल्का पिंड धरती से टकराता है, तो यह धरती पर गिरता है और अक्सर एक गड्ढा बनाता है।

 

6) उल्का पिंड का वायुमंडल में जलना: जब उल्का पिंड वायुमंडल में जलता है, तो यह धरती पर राख और धूल के रूप में गिरता है।

 

7) उल्का पिंड का समुद्र में गिरना: जब उल्का पिंड समुद्र में गिरता है, तो यह पानी में डूब जाता है और अक्सर समुद्री जीवन को प्रभावित करता है।

 

8) उल्का पिंड का बर्फ़ के रूप में गिरना: जब उल्का पिंड बर्फ़ के रूप में गिरता है, तो यह धरती पर बर्फ़ के रूप में जमता है और अक्सर हिमनद बनाता है।

 

उल्का पिंड एक प्रकार का खगोलीय पिंड है जो सूर्य की परिक्रमा करता है और अक्सर धरती के पास से गुजरता है।

उल्का पिंड का आकार और द्रव्यमान अलग-अलग हो सकता है, कुछ उल्का पिंड तो बहुत छोटे होते हैं जबकि कुछ बहुत बड़े भी।

उल्का पिंड की संरचना भी अलग-अलग हो सकती है, कुछ उल्का पिंड पत्थरों से बने होते हैं जबकि कुछ धातु से।

 

उल्का पिंड का अध्ययन विज्ञानिकों को ब्रह्मांड के बारे में और जानने में मदद करता है।

उल्का पिंड के गिरने से धरती पर जीवन को खतरा हो सकता है, इसलिए विज्ञानिक उल्का पिंड की निगरानी करते हैं।

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