आपातकाल के 50 वर्ष पूर्ण होने पर रेवाड़ी में तीन दिवसीय प्रदर्शनी का आयोजन, आमजन को कराया गया उस दौर से रूबरू

राजेश भारद्वाज स्टेट हेड हरियाणा

 

रेवाड़ी। हरियाणा सरकार के सूचना, जनसंपर्क, भाषा एवं संस्कृति विभाग द्वारा आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर रेवाड़ी लघु सचिवालय परिसर में तीन दिवसीय विशेष प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। यह प्रदर्शनी संविधान हत्या दिवस (25 जून) के अंतर्गत लगाई गई थी, जिसका उद्देश्य आमजन को आपातकाल की गंभीर परिस्थितियों, उसके प्रभाव और लोकतंत्र की रक्षा में दिए गए बलिदानों से अवगत कराना था।

 

प्रदर्शनी में 25 जून 1975 को देश पर थोपे गए आपातकाल को भारतीय लोकतंत्र के इतिहास का सबसे काला अध्याय बताया गया। विभिन्न स्लाइड्स और सूचनात्मक सामग्री के माध्यम से नागरिकों को बताया गया कि किस प्रकार उस समय अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कुचला गया, नागरिक अधिकार निलंबित किए गए और लोकतांत्रिक संस्थाओं पर हमला किया गया।

 

डीआईपीआरओ दिनेश कुमार ने जानकारी देते हुए बताया कि इस प्रदर्शनी के माध्यम से लोकतंत्र के मूल स्वरूप, उसकी जड़ों, और जन भागीदारी आधारित शासन प्रणाली के बारे में विस्तार से बताया गया। इसमें प्राचीन काल से लेकर स्वतंत्र भारत के लोकतांत्रिक ढांचे, आपातकाल से पूर्व की राजनीतिक स्थितियों, आपातकाल के दौरान उत्पन्न दमनकारी माहौल, भूमिगत आंदोलनों, प्रतिबंधित फिल्मों, तथा लोकनायक जयप्रकाश नारायण जैसे नेताओं के संघर्ष को विशेष रूप से दर्शाया गया।

 

प्रदर्शनी का उद्देश्य विशेष रूप से युवा पीढ़ी को उस दौर के सत्य से परिचित कराना था, जिससे वे लोकतांत्रिक मूल्यों के प्रति सजग और संवेदनशील बन सकें। अंतिम दिन आम नागरिकों ने प्रदर्शनी का अवलोकन कर इसे ज्ञानवर्धक और प्रेरणादायक बताया।

 

इस अवसर पर नागरिकों को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का यह संदेश भी दिखाया गया कि “भारत लोकतंत्र की जननी है,” और यह लोकतंत्र अब और अधिक मजबूत, पारदर्शी व जनकेंद्रित हो चुका है।

 

*प्रदर्शनी की मुख्य विशेषताएं रहीं:*

 

1. संविधान की मर्यादा पर हमला और जन आंदोलनों का चित्रण

 

2. लोकतांत्रिक प्रणाली और जन भागीदारी की ऐतिहासिक झलक

 

3. रचनात्मकता पर रोक, अभिव्यक्ति की आजादी पर अंकुश

 

4. लोकतंत्र की पुनर्स्थापना के लिए हुए संघर्ष

 

4. आपातकाल के पीड़ितों को सम्मान

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