महेंद्रगढ़ जिले के चारों विधानसभा सीटों पर भाजपा को सुविधा व कांग्रेस को दुविधा

स्टेट हेड राजेश भारद्वाज की सर्वे रिपोर्ट 

 

कांग्रेस ,महेंद्रगढ़ जिले की खासकर नारनौल विधानसभा सीट पर उतार सकती है नॉन अहीर प्रत्याशी

नारनौल। हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए अब लगभग 3 महीने का समय बचा है। जिसको लेकर लगभग सभी राष्ट्रीय व क्षेत्रीय दलों के अलावा चुनाव लड़ने के इच्छुक उम्मीदवारों ने लंगोट कस ली है। किसी भी राजनीतिक दलों ने अपने उम्मीदवारों की सूची जारी नहीं की है लेकिन इन दलों से संबंध रखने वाले अनेक उम्मीदवारों ने निर्दलीय चुनाव लड़ने के मंसूबे पाल रखे हैं। महेंद्रगढ़ जिले की नारनौल विधानसभा सीट पर तो राष्ट्रीय क्षेत्रीय दलों के अलावा निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ने वालों की बाढ़ सी आई हुई हैं।

राजनीतिक दलों की टिकट के चाहने वालों की स्थिति पर गौर करें तो हालत “एक अनार सौ बीमार” वाले बने हुए हैं। राष्ट्रीय दलों की टिकट को लेकर कोहराम सा मचा हुआ है। इस बार राजनीतिक दलों ने सर्वे के आधार पर जिताऊ उम्मीदवार को टिकट देने की घोषणा क्या कि टिकट के चाहनेवालो ने पूरे विधानसभा क्षेत्र में अपना अभियान तेज कर चुनाव का तगड़ा माहौल बना दिया है। दीवार में, खम्बे के पोस्टर व हॉर्डिंगो से अटे-पड़े हैं। ऐसा लगता है कि चुनाव से पहले राजनीतिक दल अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के तर्ज पर प्राइमरी चुनाव का सा माहौल देखने को मिल रहा है। अगर नारनौल विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो कुल मतदाताओं की संख्या 1,54,769 हैं। जिनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 81,652 जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 73,116 हैं। इस चुनाव क्षेत्र में अगर हरियाणा प्रदेश के अस्तित्व में आने के बाद से निर्वाचित उम्मीदवारों की बात करें तो कांग्रेस पार्टी को महज दो बार अपना विधायक बनाने का मौका मिला है जबकि भारतीय जनता पार्टी को [2+3(बीजेएस)] को अपना विधायक बनाने का मौका मिला। इस विधानसभा क्षेत्र में चार बार निर्दलीय विधायकों की भी दुडकी लग चुकी है। महेंद्रगढ़ जिला वैसे तो अहीर बाहुल्य क्षेत्र माना जाता है लेकिन 1967 से 2019 तक हुए 13 विधानसभा चुनाव में अहीर जाति से महज “तीन प्रत्याशी” को विधायक बनने का मौका मिला है। जिसमें वर्तमान भाजपा विधायक ओम प्रकाश यादव लगातार दो योजनाओं से विधायक बनते आ रहे हैं। इनके अलावा अन्य जातियों में पांच बार ब्राह्मण प्रत्याशियों को विधायक बनने का अवसर मिला है जबकि गुर्जर जाति के प्रत्याशियों को तीन बार विधायक बनने का अवसर मिला है। अग्रवाल समाज से भी विधायक निर्वाचित हुए हैं।

भले ही राजनीतिक दल खुले तौर पर जात-पात की बात ना करता हो लेकिन अंदर खाने में बैठकर जातियों के गुणाभाग ही गढ़े जाते हैं। 2014 में महेंद्रगढ़ जिले की चारों विधानसभा सीटों पर भाजपा का कब्जा रहा था। भारतीय जनता पार्टी ने 2014 के चुनाव में चारों विधानसभा सीट पर जीत हासिल की थी लेकिन 2019 आते-आते भाजपा की सीटों की संख्या तीन रह गई। और कांग्रेस महज एक सीट पर विजय प्राप्त कर पाई। 2019 के चुनाव की खास बात यह है कि महेंद्रगढ़ की सभी विधानसभा सीटों पर अहीर प्रत्याशी जीतने में सफल रहे। लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के अहीर प्रत्याशी राव दान सिंह महेंद्रगढ़ जिले की चारों विधानसभा सीटों पर भाजपा जाट प्रत्याशी चौधरी धर्मवीर सिंह से पिछड़ गए। भाजपा और कांग्रेस पार्टी अपनी रणनीति में बदलाव कर सकती है। भाजपा के सामने जहां महेंद्रगढ़ जिले में अहीर प्रत्याशी पे दांव खेलने में सुविधा नजर आ रही है वहीं कांग्रेस पार्टी के सामने प्रत्याशी चयन में दुविधा आ रही है। कांग्रेस अपनी रणनीति में बदलाव कर सकती है तथा जिले की खासकर नारनौल विधानसभा सीट पर पूर्व के चुनाव परिणाम पर गौर करते हुए नॉन अहीर प्रत्याशी उतार सकती है क्योंकि कांग्रेस का कोई भी अहीर प्रत्याशी नारनौल विधानसभा क्षेत्र में 1967 से अभी तक जीत हासिल नहीं कर पाया।

नारनौल विधानसभा सीट पर 2009 से पहले ब्राह्मण व गुर्जर प्रत्याशियों का बोलबाला रहा था अब देखना यह है कि कांग्रेस पार्टी के रणनीतिकार नारनौल विधानसभा सीट पर अपने कौन से त्रुप के इक्के को मैदान में उतरती है।।

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