किशोर न्याय अधिनियम के बारे में किया गया जागरूक: सी जे एम अमित वर्मा

शिव कुमार यादव ब्यूरो चीफ रेवाड़ी

22 जुलाई रेवाड़ी।

हरियाणा राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण पंचकूला के आदेशानुसार माननीय जिला एवं सत्र न्यायाधीश एवं अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण रेवाड़ी श्री गुरविंदर सिंह वाधवा के निर्देशानुसार श्री अमित वर्मा मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी व सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण रेवाड़ी के देखरेख में आज जिला वैकल्पिक समाधान केंद्र रेवाड़ी में किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम 2015 पर एक जागरूकता कार्यक्रम एवम् कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य हरियाणा राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा चलाए जा रहें जागरूकता कार्यक्रम के तहत किशोर न्याय अधिनियम के बारे में ज्यादा से ज्यादा जागरूकता फैलाना था। इस जागरूकता कार्यक्रम में किशोर न्याय अधिनियम व बच्चों की सुरक्षा से जुड़े सभी हित धारक उपस्थित रहे जिनमें पुलिस अनुसंधान अधिकारी, मेडिकल ऑफिसर, अधिवक्ता गण, स्वयं विधिक सेवक, व लीगल डिफेंस काउंसिल मौजूद रहे।

इस कार्यशाला में मुख्य वक्ता श्रीमती जोगिंद्री, प्रिंसिपल मजिस्ट्रेट, जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड, रेवाड़ी रहे।

इस मौके पर श्रीमती जोगिंद्री ने बताया कि किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम, 2015 का मुख्य उद्देश्य विधि से संघर्षरत बच्चों तथा देखभाल और संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चों की बाल मैत्री प्रक्रिया के तहत उनके सर्वोतम हित को ध्यान में रखते हुए उनकी समुचित देखरेख, पुनर्वास, संरक्षण, उपचार एवं विकास सुनिश्चित करना हैं ।

इस प्रशिक्षण सह कार्यशाला में किशोर न्याय बोर्ड के प्रधान मजिस्ट्रेट श्रीमती जोगिंद्री द्वारा बताया गया कि प्रत्येक पुलिस थाने में सीडब्ल्यूसी, जेजेबी, 1098 एसजेपीयू, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, डीसीपओ आदि की जानकारी चस्पा किया जाना चाहिए तथा यह भी बताया गया कि थाना स्तर पर नियुक्त विशेष बाल कल्याण अधिकारी को विधि का उल्लंघन करने वाले बालक को पकड़े जाने के 24 घंटे के अंदर किशोर न्याय बोर्ड में प्रस्तुत किया जाना चाहिए। उक्त बालक को हथकड़ी, जंजीर अथवा बेड़ी नहीं पहनाना चाहिए। बालक को किसी भी प्रकार के दबाव व बल का प्रयोग नहीं करना चाहिए, बालकों के साथ यथास्थिति उपयुक्त चिकित्सकीय सहायता, दुभाषिये या विशेष शिक्षक की सहायता या ऐसी कोई अन्य सहायता उपलब्ध कराई जानी चाहिए जो बालक के लिए आवश्यक है तथा बालक को अपराध स्वीकार करने के लिए बाध्य नहीं करना चाहिए, बालक को किसी कथन पर हस्ताक्षर करने के लिए नहीं कहना चाहिए, बालक को निःशुल्क विधिक सहायता उपलब्ध कराने हेतु जिला विधिक सेवा प्राधिकरण से संपर्क करना चाहिए तथा थाना स्तर पर नियुक्त विशेष बाल कल्याण अधिकारी को सादे कपड़े में होना चाहिए।साथ ही उनके द्वारा यह भी बताया गया कि 18 वर्ष से कम उम्र के बालक द्वारा यदि कोई अपराध किया जाता है तो उसे विधि का उल्लंघन करने वाला बालक कहा जाए ना कि आरोपी मुजरिम।

आज के बच्चे देश के भविष्य हैं। उक्त अधिनियम में सर्वप्रथम यह देखा जाना चाहिए कि जो भी विधि का उल्लंघन करने वाले बालक को किशोर न्याय बोर्ड में प्रस्तुत किया जा रहा है उसकी आयु के संबंध में मेट्रिकुलेशन या समतुल्य प्रमाण-पत्र, जन्म प्रमाण-पत्र या अन्य दस्तावेज पेश है या नहीं जिससे यह साबित हो सके कि वह बालक 18 वर्ष से कम का है या नहीं। उन्होंने यह भी बताया गया कि किशोर न्याय बालकों की देखरेख एवं संरक्षण अधिनियम 2015 के नियम 92 के बारे में विस्तृत रूप से बताया गया कि गुमशुदा बालक के बारे में पुलिस द्वारा निम्नलिखित जांच कार्यवाही की जानी चाहिए। तुरंत एफआईआर दर्ज करना, गुमशुदा बालक का नवीन फोटोग्राफ प्राप्त कर मीडिया के लिए प्रतियां बनाना, मिसिंग पोर्टल में एंट्री कराया जाना, सार्वजनिक स्थलों पर फोटो चस्पा कराना, समाचार पत्रों में प्रकाशन करवाना। साथ ही यह भी बताया गया कि उक्त अधिनियम के तहत रिपोर्ट न करने, बालक की पहचान प्रकट करने, बालक के प्रति क्रूरता करने के संबंध में दण्ड का प्रावधान उक्त नवीनतम अधिनियम में किया गया है जो कि पूर्व के अधिनियम में नहीं था। इस दौरान यह भी बताया गया कि उक्त अधिनियम में भीख मांगने के लिए बालक का प्रयोजन करने, बालक को किसी मादक पदार्थ देने या दिलवाने के लिए किसी बालक को मादक पदार्थ के क्रय-विक्रय उसे साथ रखने, उसकी आपूर्ति या तस्करी करने, किशोर बालक का शोषण करने, किसी अनाथ-परित्यक्त अथवा अभ्यार्पित बालक को नियमों के विरुद्ध दत्तक ग्रहण करने, बालकों को किसी प्रयोजन के लिए क्रय अथवा विक्रय करने के लिए बालकों को शारीरिक सजा देने के लिए भी दण्ड की व्यवस्था की गई है। आयोजित प्रशिक्षण कार्यशाला में अधिनियम के विभिन्न पहलुओं से अवगत कराते हुए कार्यशाला में उपस्थित स्वास्थ्य अधिकारी, पुलिस विभाग से अनुसंधान अधिकारी, अधिवक्तागण व स्वयं विधिक सेवको को विस्तृत रूप से अवगत कराते हुए अधिनियम से संबंधित धाराओं, अधिनियम-नियम की जानकारी प्रदान की गई ।

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