जीवन में समाजसेवा ,धर्म -कर्म को ही अपनी शख्सियत बना बैठे धर्मेंद्र बैरियावास

राजेश भारद्वाज ब्यूरो चीफ़ रेवाड़ी

रेवाड़ी- दक्षिण हरियाणा के जिला रेवाड़ी का अपनी अलग पहचान रखने वाला छोटा – सा गांव बैरियावास और उसमें बसने वाले धर्मेंद्र यादव बैरियावास आज किसी परिचय के मोहताज नहीं। 05 जुलाई 1983 को पिता बाबूलाल और दादा मोहर सिंह के घर जन्मे धर्मेंद्र को बचपन से खेलो का बड़ा शौक था। नित नए कार्य करने और कुछ नया सीखने की रुचि ने इनको जिज्ञासु बना डाला। अपने माता पिता की 3 संतानों 1 बहन एवं दो भाईयों में धर्मेंद्र 0000 पायदान पर थे। धर्मेंद्र को इस किसान परिवार अपने परदादा, दादा एवं पिता के साथ अन्य परिजनों का खूब दुलार मिला। खेती में पिता बाबुलाल का हाथ बंटाते हुए कब वे खेतीबाड़ी सीख गए, यह उनको भी याद नहीं। धीरे – धीरे वे समाज और राजनीति के क्षेत्र जुड़े और सामाजिक कार्य करने लगे। उनकी यह नयी पारी आज भी जारी है।

राष्ट्रीय नवचेतना मंच से जुड़कर इन्होंने युवा बेरोजगारों के लिए अनेक परियोजनाएं चलाईं। ग्रामीण क्षेत्रों में जनजागृति अभियान चलाया। उन्होंने युवाओं को करियर मार्गदर्शन, बेरोजगारों को रोजगार, दहेज और नशे के विरुद्ध मुहिम, खिलाड़ियो को प्रोत्साहन, किसानों की समअस्याएं सरकार तक पहुंचाई। सरकार के माध्यम से कई सड़कों के नव निर्माण में अहम भूमिका निभाई है। सामाजिक विषयों पर संगोष्ठी आयोजित कराकर बुद्धिजीवियों की वाणी से समाज को नई प्रेरणा दी। मौजूदा समाज की समस्याओं और अन्य ज्वलंत मुद्दो पर लोगों से चर्चा कर समाज को जागृत करना इनकी अच्छी पहल थी। बीते 10 साल से वे जनसेवा में समर्पण भाव की एक मिसाल बने हुए हैं। धर्मेंद्र बैरियावास ने शिक्षित, अच्छे पिता एवं पति, समर्पित भाई, मेहनती, ईमानदार, दानवीर, मददगार, अच्छा एवं विश्वसनीय दोस्त, बेरोजगारों के मसीहा और गरीबों के हमदर्द की भूमिका बखूबी निभाई। इनके सामाजिक कार्यों से आज समाज का हर वर्ग लाभांवित हुआ है।

वो कहते हैं कि कड़ी मेहनत, ईमानदारी ही किसी व्यक्ति को बड़ी मंजिल तक ले जा सकती है। उनकी चाह देश और समाज के लिए कुछ बड़ा करने की है, ताकि उनका नाम पूरे भारत में लोग पूरे सम्मान के साथ लें।

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