50 रुपए के पेट्रोल के ऑनलाइन पेमेंट लेना पडा पेट्रोल पंप संचालक को भारी, 62 लाख रुपए खाते में फंसे

गोपाल चतुर्वेदी ब्यूरो चीफ मथुरा

 

साइबर अपराधियों कारनामों पर अंकुश नहीं लग पा रहा है जिसके कारण नित नई समस्या सामने खड़ी हो रही है मथुरा जनपद के थाना कोसी कलां अंतर्गत एक अजीबो गरीब मामला सामने आया है आप भी सावधान हो कर रहिए जी हा

अगर आप डिजिटल भुगतान ले रहे हैं तो जरा सावधान हो जाइए। कहीं कोई साइबर अपराधी आपके खाते में लेनदेन कर देता है तो आपकी मुश्किलें बढ़ना तय है। ऐसे ही एक मामला सामने आया है, जिसमें सूरत के एक अपराधी ने क्षेत्र के एक पेट्रोल पंप से 50 रुपये का पेट्रोल लिया। इस पर सूरत साइबर सेल ने पंप का बैंक एकाउंट फ्रीज करा दिया। पिछले 10 दिनों से पंप बंद है। संचालक ने एसएसपी को मामला बताकर मदद की गुहार लगाई है। यूपी एवं गुजरात पुलिस के बीच मामले पर चर्चा हुई। बावजूद मामला अभी तक सुलझ नहीं पाया है।

26 जून को शेरगढ़ के हरी-विकास सेवा केंद्र पेट्रोल पंप पर एक युवक ने 50 रुपये का पेट्रोल लेकर डिजिटल भुगतान पंप के खाते में कर दिया। 8 जुलाई को पंप का खाता अचानक फ्रीज हो गया। संचालक विकास जैन ने बताया कि तत्काल बैंक से संपर्क स्थापित किया। इस दौरान संबंधित बैंक शाखा से संदिग्ध रूप से पैसा आने के बाद खाता फ्रीज करने की जानकारी दी गई। सूरत पुलिस की इस कार्रवाई से पंप के खाते में रखे करीब 62 लाख रुपये सीज हो गए। जिससे पंप का संचालन पूरी तरह से ठप हो गया।

खूब मशक्कत के बाद भी खाता चालू नहीं हो पाया। मंगलवार को पंप संचालक अन्य व्यापारियों के साथ एसएसपी शैलेश पांडेय से मिले और अपनी व्यथा बताई। मामले को समझकर एसएसपी ने सूरत पुलिस से संपर्क कर हल निकालने को कहा। बताते हैं कि दोनों राज्यों की पुलिस के बीच तय हुआ है कि जितनी संदिग्ध राशि उक्त युवक द्वारा खाते में डाली गई है केवल उसे ही फ्रीज किया जाएगा, जबकि बाकी रकम को लेनदेन के लिए फ्री कर दिया जाएगा। हालांकि अभी इस प्रक्रिया में भी कुछ समय लग सकता है।

छह माह पूर्व भी गांधी पार्क के सामने मोबाइल विक्रेता के खाते में एक युवक द्वारा 3000 का ट्रांजेक्शन किया था, उसके बाद उसका बैंक ने फ्रीज कर दिया, जो कि अभी तक नहीं चालू नही हो सका। जिसे लिए वह दिल्ली पुलिस से लगातार संपर्क बनाए है।

एक वर्ष पूर्व छाता में भी एक मोबाइल विक्रेता का चालू खाता भी इसी प्रकार से फ्रीज हो गया था, लेकिन बिजनेस एकाउंट होने के चलते अपनी बात रखते हुए खाते को शुरू करा लिया।

दुकानदार पिंटू सैनी, दीपक अग्रवाल, पुनीत, सुखदेव वशिष्ठ का कहना है कि जो लोग बाजार से सामान खरीदने आ रहे हैं, वह डिजिटल भुगतान कर रहे हैं, उनकी पहचान कैसे की जाए। ऐसी हालत में वह डिजिटल भुगतान लेना बंद कर दें। अगर डिजिटल भुगतान लेना बंद कर देंगे तो उनका कारोबार प्रभावित होगा। या फिर पुलिस और साइबर सेल के चक्कर काटते रहें। सरकार को इस तरह के मामलों को गंभीरता पूर्वक लेना चाहिए वरना धीरे धीरे सरकार का डिजिटल इंडिया का सपना भी धरा का धरा रह जायेगा।

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