कैबिनेट मंत्री चौधरी लक्ष्मी नारायण की मुश्किलें बढ़ीं, बहुचर्चित पुलिस मुखबिर संजीव की मौत मामले में एफआर खारिज

गोपाल चतुर्वेदी ब्यूरो चीफ मथुरा

 

मथुरा। पुलिस के अघोषित मुखबिर बलदेव के संजीव सिकरवार की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत के 13 साल पुराने मामले में उप्र सरकार में गन्ना मंत्री एवं छाता विधायक लक्ष्मीनारायण चौधरी की मुश्किलें फिर से बढ़ गई हैं। मंगलवार को एसीजेएम-2/एमपी-एमएलए छवि कुमारी की कोर्ट ने पुलिस द्वारा दाखिल अंतिम रिपोर्ट को खारिज कर दिया है। मृतक के पिता ने अंतिम रिपोर्ट के खिलाफ विरोध अर्जी दाखिल की थी। अर्जी में शामिल तथ्यों को आधार बनाते हुए यह आदेश कोर्ट ने दिया है। मंत्री सहित छह लोग केस में आरोपी हैं। शहर कोतवाली में हाईकोर्ट के आदेश पर मौत के एक साल बाद मुकदमा दर्ज हुआ था। अलीगढ़ पुलिस ने इसकी विवेचना की थी। 27 अक्तूबर 2011 को बलदेव थाना क्षेत्र निवासी संजीव सिकरवार पुत्र शिवकुमार का शव रेलवे ट्रैक पर भूतेश्वर के पास मिला था। पुलिस द्वारा मुकदमा न दर्ज करने पर पिता हाईकोर्ट गए। वहां से आदेश होने पर छह अक्तूबर 2012 को घोषित तेल माफिया मनोज अग्रवाल, तब पूर्व और अब वर्तमान कैबिनेट मंत्री एवं छाता से विधायक चौधरी लक्ष्मी नारायण, अजय प्रताप, यशवीर सिंह, ठाकुर रोहतान सिंह व तत्कालीन कृष्णा नगर चौकी प्रभारी व दो अज्ञात लोगों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कराया था। शहर कोतवाली में अपराध संख्या 893/2012 पर धारा 302, 201, 506, 120बी के तहत मुकदमा दर्ज हुआ। इसकी विवेचना अलीगढ़ पुलिस द्वारा की गई। विवेचना के बाद अलीगढ़ पुलिस ने मुकदमे में एफआर लगा दी थी। शिवकुमार सिकरवार ने एफआर का विरोध करते हुए कहा कोर्ट में अर्जी देते हुए तथ्य रखे कि पुलिस ने आरोपियों के प्रभाव में आकर बिना किसी गवाह के बयान दर्ज किए मुकदमे में एफआर लगाई है। अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट/एमपी एमएलए कोर्ट के विशेष लोक अभियोजक हरेन्द्र शर्मा ने बताया कि संजीव सिकरवार की संदिग्ध मौत के मामले में पुलिस द्वारा दो बार लगाई गई एफआर को निरस्त करते हुए अदालत ने पुन: विवेचना कर दो माह में रिपोर्ट पुलिस से तलब की है। अदालत ने कहा है कि समस्त तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए प्रस्तुत प्रकरण में विवेचना अपूर्ण व संदिग्ध प्रतीत होती है। अग्रेतर विवेचना कराया जाना आवश्यक है। संजीव के पिता शिवकुमार सिकरवार के आरोप हैं कि उनका पुत्र संजीव सिकरवार उर्फ नेता धौली प्याऊ स्थित श्रीराम धर्मशाला में रहकर भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम में जुटा था। उसकी सूचना पर ही तेल माफिया मनोज अग्रवाल और छाता क्षेत्र में संचालित काले तेल के गोदामों को पकड़ा गया था। इससे मंत्री चौधरी लक्ष्मीनारायण और मनोज अग्रवाल उससे रंजिश रखते थे। छह अक्तूबर 2011 को कृष्णानगर के शोरूम संचालक अजय, पूजा एंकलेव निवासी यशवीर सिंह ने संजीव को बैंक कालोनी बुलाकर उसे जान से मारने की धमकी दी थी। 27 अक्तूबर 2011 की सुबह 7:30 बजे ठाकुर रोहतान सिंह निवासी जैंत व दो अन्य व्यक्ति संजीव को रेलवे लाइन पर श्रीजी बाबा आश्रम एवं अमरनाथ विद्या आश्रम की ओर ले गए। वहां अजय प्रताप, यशवीर सिंह, ठाकुर रोहतान सिंह व तीन अन्य ने मिलकर संजीव की हत्या कर दी और सबूत नष्ट करने के लिए शव रेलवे ट्रैक पर डाल दिया। घटनास्थल पर पहुंचे तत्कालीन चौकी प्रभारी कृष्णा नगर ने संजीव से परिचित होने के बाद भी उसे पहचानने से मना कर दिया था और अज्ञात में पंचनामा भर दिया। शिवकुमार ने जब रिपोर्ट दर्ज कराने की बात कही तो उसे धमकाकर भगा दिया गया था। इसके बाद हाईकोर्ट में शरण ली थी।

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