कोसली विधानसभा में कांग्रेस के लिए संजीवनी लाए :अनिल पाल्हावास

राजेश भारद्वाज ब्यूरो चीफ रेवाड़ी

 

रेवाड़ी- कोसली विधानसभा क्षेत्र कांग्रेस के लिए पिछले 10 वर्षों से सूखा पड़ा हुआ है । 2014 के बाद से कोसली मे कांग्रेस पार्टी बिखर सी गई थी। एक कुशल और दमदार नेतृत्व के अभाव में कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं में मायूसी छा गई। कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ता अपने आप को अनाथ सा समझने लगे। 2014 में कोसली विधानसभा में भाजपा से विक्रम ठेकेदार ने 39.3% मतों के साथ 63264 वोट लेकर इनेलो के जगदीश यादव को 10767 वोटो से हराकर जीत का परचम लहराया। जगदीश यादव को 32.6% के साथ 52497 मत मिले। जबकि कांग्रेस वहा पर तीसरे स्थान पर रहीं। कांग्रेस के राव यादवेंद्र सिंह को मात्र 12.1% के साथ 19527 मत मिले। कोसली जो कभी कांग्रेस का गढ़ रही वहा कांग्रेस तीसरे स्थान पर खिसक गई। यही नतीजा 2019 के चुनाव में रहा। 2019 के चुनाव मे भाजपा के लक्ष्मण सिंह यादव 52.40% के साथ 78813 मत लेकर कांग्रेस के राव यादवेंद्र सिंह से 38624 मतों से विजय रहे। राव यादवेंद्र सिंह को 26.73 प्रतिशत के साथ 40189 मत प्राप्त हुए। कांग्रेस की बिखेर रही पार्टी का खामियाजा चौधरी दीपेंद्र सिंह हुड्डा को 2019 में लोकसभा चुनाव हार कर उठाना पड़ा। 2019 में भाजपा के डॉक्टर अरविंद शर्मा ने दीपेंद्र सिंह हुड्डा को हराया। कोसली में कांग्रेस पार्टी की दशा और दिशा ठीक नहीं चल रही थी। ऐसे में राव इंदरजीत के ख़ास समर्थक अनिल पाल्हावास ने अचानक अपनी आस्था कांग्रेस के प्रति जताई और चौधरी दीपेंद्र सिंह हुड्डा की अगवाई में कांग्रेस में शामिल हो गए। अनिल पाल्हावास ने कांग्रेस में शामिल होते ही पार्टी को संगठित करते हुए कांग्रेस में नई जान फूक दी। अनिल पाल्हावास ने पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर कांग्रेस को संजीवनी दी। अनिल पाल्हावास ने गांव गांव घर-घर जाकर कांग्रेस की नीतियों का प्रचार किया और पार्टी के लिए जनसंपर्क जुटाया। गत 5 नवंबर को सभी कार्यकर्ताओं को एकजुट करते हुए चौधरी दीपेंद्र सिंह हुड्डा के मुख्य अतिथि में एक विशाल रैली का आयोजन जाटुसाना गांव में किया ।जिसमें कोसली विधानसभा क्षेत्र से भारी जन सैलाब उमड़ा । इस जन सैलाब से दीपेंद्र हुड्डा गदगद नजर आए।सूत्रों की माने तो अनिल पाल्हावास के साथ लगते गावों जिनमें पाल्हावास , गुराबड़ा,जीवडा चांदनवास की लगभग 15000 वोटो पर अनिल की सीधी पकड़ है।साथ ही साथ राव इंद्रजीत सिंह के पुराने कार्य कर्ताओं से भी अनिल पाल्हावास के मधुर संबंधों के कारण वो भी इनसे जुड़े हुए है। अनिल पाल्हावास ने जाटूसाना में खोले गए सामाजिक सहायता केंद्र से बहुत लोग जुड़े और अनिल को ओर मजबूती मिली।अनिल पाल्हावास की मेहनत से न केवल 2024 के लोकसभा चुनाव में दीपेंद्र सिंह हुड्डा को जीत मिली बल्कि कोसली विधानसभा में दीपेंद्र सिंह हुड्डा के पिछली हार के अंतर को भी पाट दिया। कोसली विधानसभा में अहीर वर्चस्व है। अनिल पाल्हावास ने अहीर और अन्य जातियों को भी साथ जोड़ा और कांग्रेस को मजबूती मिली। चौधरी दीपेंद्र सिंह हुड्डा और चौधरी भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने अनिल पाल्हावास को इस मेहनत और जीत की खुशी का तोहफा देते हुए अनिल पाल्हावास को कांग्रेस का प्रदेश प्रवक्ता बनाया। लोकसभा चुनाव के बाद अब विधानसभा चुनाव भी नजदीक आने से एक बार फिर निगाहें अनिल पाल्हावास पर टिकी है। पिछले 10 वर्षों के कांग्रेस के वनवास को क्या इस बार अनिल पाल्हावास तोड़ पाएंगे, यह भविष्य में छिपा है। मगर जिस तरह अनिल पाल्हावास ने कांग्रेस के लिए जनसंपर्क जुटाया है उससे यही लगता है कोसली विधानसभा क्षेत्र से अनिल पाल्हावास जीत का परचम लहराएगे।

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